पालिका परिक्षेत्र अंर्तगत जर्जर इमारतों का लेखा जोखा नहीं

पूर्व में कई बार हो चुके है बड़े हादसे

भिवंडी। भिवंडी शहर महानगर पालिका परिक्षेत्र अंर्तगत कितनी धोखादायक व जर्जर इमारतें है इसका लेखा जोखा प्रशासन के पास उपलब्ध नहीं है। पूर्व काल में शहर के विभिन्न क्षेत्रों में कई बड़े हादसे हो चुके है जिसमें कई लोगों ने अपनी जान गवाई है। इसके बावजूद प्रशासन धोखादायक व जर्जर इमारतों को लेकर उदासीन बना हुआ है जानकारों की माने तो पालिका सीमा अंर्तगत हजारों की संख्या में धोखादायक व जर्जर इमारतें है। जिसमें आज भी लोग सिर में कफन बांधकर सपरिवार रहते है कई इमारतों के नीचे पॉवर लूम मशीनें संचालित होने के कारण इमारत में कंपन होता है।इसके बावजूद लोग ऐसी इमारतों में रहने के लिए मजबूर है। 

वर्ष 2023 में पालिका प्रशासन ने पांचों प्रभाग समितियों में कुल 756 इमारतों को धोखादायक घोषित किया था इसमें 298 इमारतें अति खतरनाक थी। इन इमारतों में 2460 परिवार के 15 हजार से ज्यादा लोग सिर पर कफन बांधकर रहते थे। जिसमें पुरानी चाल,पुरानी बिल्डिंग,पुराने कबेलू वाले पॉवर लूम कारखाने और दुकानें शामिल थी।बावजूद मनपा प्रशासन इसे लेकर उदासीन बनी हुई थी। 

प्रभाग समिति क्रमांक एक अंर्तगत 32 बिल्डिंग धोखादायक और 40 इमारतें जर्जर और प्रभाग समिति क्रमांक दो अंर्तगत 130 इमारतें खतरनाक और दो अति खतरनाक सहित कुल 152 बिल्डिंगों का समावेश था। इसी तरह प्रभाग समिति तीन अंर्तगत 75 इमारतें खतरनाक और 26 इमारतें अति खतरनाक,प्रभाग समिति क्रमांक चार अंर्तगत 196 इमारतें खतरनाक और 77 इमारतें अति खतरनाक घोषित की गई थी। इसके साथ साथ प्रभाग समिति क्रमांक पांच अंर्तगत सबसे ज्यादा 211 बिल्डिंग को खतरनाक घोषित किया गया था लेकिन मनपा प्रशासन ने इन खतरनाक इमारतों में रहने वालो को विस्थापित करने अथवा हादसों को रोकने का कोई सार्थक कदम नहीं उठाया। 

मनपा सुत्रों की माने तो की खतरनाक इमारतों को खाली कराने में सबसे बड़ा रोड़ा स्थानीय, नेता,नगरसेवक व लालची बिल्डर होते है तो कई इमारतों में किरायेदार व मालिक के बीच झगड़ा होता है जिसके कारण कोर्ट ने स्टे होने के कारण कार्रवाई नहीं की जाती है। इसमें से कुछ इमारतें प्रशासन ने निजी ठेकेदार मार्फत तोड़क कार्रवाई की है तो कई इमारतें आज भी तस के जस खड़ी है किन्तु ठेकेदार इन इमारतें से खिड़की,दरवाजे निकाल चुका है और जर्जर इमारत को‌ लावारिस की तरह छोड़ रखा है। जिसके कारण कभी भी हादसे होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। सबसे मजे की बात यह है प्रशासन ने अभी तक कितनी इमारतें जर्जर है। इसका लेखा जोखा को जाहिर नहीं कर सकी है।

रिपोर्टर

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