दूसरे देशों में आतंकवादियों के मारे जाने पर अपने देश में हाय तौबा क्यों

संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की रिपोर्ट 

दुर्गावती (कैमूर)- जो लड़ाई दूसरे देशों की धरती पर आतंकवादियों के विरुद्ध हो रही है उस पर आज अपने ही देश में शोक सभा कैंडल मार्च और रैलियां निकाली जा रही हैं, ऐसा क्यों इसलिए की वह आतंकवादी व्यक्ति किसी खास समुदाय से ताल्लुक रखता था। यही नहीं आज के परिवेश में वोट प्राप्त करने के लिए विपक्षी दल के राजनेता भी उनके सुरों में सुर मिलाए कतार में खड़े है। यदि मानवता के प्रति इतना ही संवेदना है तो बांग्लादेश में जो हो रहा है और पाकिस्तान में अल्पसंख्य को पर जो हो रहा है उस पर खामोश क्यों है। देश के खास समुदाय और राजनेता क्या मानवता की यही परिभाषा मानते है। यूक्रेन और रूस के बीच जो जंग हो रही है उस पर मानवता  दिखाना उचित नहीं है। क्या शांति से जीवन जी रहे इजरायल पर अचानक अटैक करना उसके नागरिकों को बंधक बना लेना सीमा को तोड़ना आज तक बंधक बनाए गए नागरिकों नहीं छोड़ना क्या यह मानवता शर्मसार नहीं करता है।  क्या इस पर दुनिया के देशों को नहीं बोलना चाहिए था क्या किसी ने कभी एक शब्द बोला या किसी ने रैलियां और मार्च निकाला नहीं तो फिर आतंकवाद को पाल रहे पोषित आतंकवादियों के मारे जाने पर क्यों हो हल्ला मचा है क्या इजराइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार नहीं है उस पर हमले हो और वह चुपचाप बैठा रहे अपनी रक्षा भी न करें। उसने तो कहा था कि हमारे नागरिकों को लौटा दो युद्ध बंद कर दूंगा तो फिर उनके नागरिकों को क्यों नहीं लौटाया गया जो आज तक उन संगठनो की कैद में है। क्या आतंकवाद और आतंकवादीयो का समर्थन करने वाले लोग शांत भारत में ऐसा करके आतंकवाद और  आतंकियों  को समर्थन नहीं दे रहे है। ऐसे समर्थकों को देश में रहने का क्या मतलब है क्या यह युद्ध भारत की धरती पर लड़ा जा रहा है नहीं तो फिर यह हो हल्ला क्यों। भारत सरकार को चाहिए कि वर्तमान समय में इस पर नकेल कसे वरना यह  देश आतंकवादियों का पनाहगार बन जाएगा जिसे संभाल पाना एक दिन मुश्किल होगा।

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