
भिवंडी कांग्रेस में खींचतान: चुनाव से पहले बिखराव, नेतृत्व पर संकट
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Oct 06, 2024
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भिवंडी। आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भिवंडी शहर की कांग्रेस पार्टी गंभीर संकट का सामना कर रही है। कभी एकजुटता का प्रतीक रही पार्टी, आज 9 गुटों में बंटी हुई है। पार्टी के मौजूदा शहर अध्यक्ष एडवोकेट रशीद ताहिर मोमिन पार्टी को फिर से संगठित करने में नाकाम साबित हुए है।नतीजा यह है कि कांग्रेस के पदाधिकारी एक-दूसरे से भिड़े हुए है और पार्टी में ठोस रणनीति की जगह सिर्फ आंतरिक कलह ने ले ली है।
चुनावी तैयारियों पर गुटबाज़ी का साया :
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक है और भिवंडी शहर कांग्रेस पार्टी को दो सीटों—भिवंडी पूर्व और भिवंडी पश्चिम—से अपने उम्मीदवार खड़े करना चाहती है। लेकिन जहां भिवंडी पूर्व में चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों की संख्या बेहद कम है,वहीं भिवंडी पश्चिम में यह संख्या बेतहाशा ज्यादा है। लगभग दो दर्जन से अधिक नेताओं ने यहां से कांग्रेस का टिकट पाने के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है।
विलास पाटिल बनाम रशीद ताहिर: टिकट के लिए घमासान :
भिवंडी कांग्रेस में सबसे बड़ी चर्चा पूर्व महापौर विलास आर. पाटिल के इर्द-गिर्द हो रही है जो हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं। पाटिल को पश्चिम सीट से सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। उनके आने के बाद पार्टी के अंदर खलबली मची हुई है। दूसरी ओर, मौजूदा शहर अध्यक्ष रशीद ताहिर मोमिन भी चुनाव लड़ने की अपनी मंशा साफ कर चुके है, जिससे टिकट के लिए अंदरूनी टकराव तेज हो गया है। वहीं पूर्व नगरसेवक तल्हा मोमिन भी इस दौड़ में शामिल है।
नेतृत्वहीनता और असंतोष :
पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और प्रदेश स्तर के पदाधिकारी भिवंडी में लगातार दौरे कर रहे हैं। वे संभावित उम्मीदवारों के वायोडाटा ले रहे है, लेकिन हर बैठक में गुटबाज़ी और खींचतान का माहौल देखा जा रहा है। पार्टी के कुछ पदाधिकारी पार्टी दफ्तर में आने से भी कतराते हैं और निजी स्थानों पर मुलाकातें करना पसंद करते है। पार्टी के झंडे और बैनर उठाने की बात तो दूर,अब यह भी सवाल खड़ा हो गया है कि पार्टी में एकजुटता की भावना कब लौटेगी।
भविष्य की राह अनिश्चित :
ऐसे माहौल में, भिवंडी शहर में कांग्रेस का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है। जहां चुनाव के लिए पार्टी को मजबूत और संगठित होना चाहिए वहां कांग्रेस अपने ही अंदर के विवादों में उलझी हुई है। अगर जल्द ही नेतृत्व और संगठन को सुधारने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भिवंडी की कांग्रेस को चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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