भिवंडी पालिका प्रशासन में भ्रष्टाचार का बोलबाला !

अठन्नी से लाखों तक का रिश्वत का खेल

भिवंडी। भिवंडी-निजामपुर नगरपालिका प्रशासन में इन दिनों भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के गंभीर आरोपों का बोलबाला है। यहां हर छोटे-बड़े काम के लिए रिश्वत देना आम बात हो गई है। नागरिकों से लेकर व्यापारियों तक, हर कोई इस भ्रष्टाचार से त्रस्त है। अठन्नी से लेकर लाखों रुपये तक की मांग की जाती है, जिससे स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक तंत्र जनसेवा के बजाय धंधे का अड्डा बन गया है।चाहे नई इमारतों की अनुमति हो, व्यवसाय लाइसेंस जारी करना हो, या फिर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने की प्रक्रिया, सभी विभागों में अधिकारियों द्वारा रिश्वत की मांग की जाती है। बिल्डिंग परमिशन विभाग में नई इमारतों की फाइलें बिना रिश्वत के महीनों तक लंबित रहती हैं। परवाना विभाग में रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे व्यापारियों से लाइसेंस के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं। कर विभाग में प्रॉपर्टी टैक्स लगाने या कम आकलन के लिए भी "गिफ्ट" देना पड़ता है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि बिना पैसे दिए किसी काम की उम्मीद करना असंभव हो चुका है। एक स्थानीय निवासी ने बताया कि अपनी बिल्डिंग की फाइल पास करवाने के लिए उन्हें लाखों की रिश्वत देनी पड़ी। यही नहीं काम पर नहीं आने व हाज़िरी में उपस्थिति दिखाने तक रिश्वत दी जाती है। ठेकेदारो को बिल निकालने से लेकर ठेका लेने तक रिश्वत की बाजार लगती है.भ्रष्टाचार के इन आरोपों पर जब एक वरिष्ठ अधिकारी से संपर्क किया गया, तो उन्होंने इन्हें सामान्य शिकायतें बताते हुए खारिज कर दिया।

हालांकि, जमीनी हकीकत यह है कि प्रशासनिक तंत्र में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार संस्थागत रूप ले चुके हैं। नागरिकों ने प्रशासन और राज्य सरकार से इस समस्या का समाधान निकालने की मांग की है। उनका कहना है कि प्रशासनिक कार्यों को डिजिटल करने और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई से इस स्थिति में सुधार हो सकता है। स्वतंत्र जांच समिति की नियुक्ति और रिश्वतखोरी में लिप्त अधिकारियों को दंडित करना आवश्यक है।

भिवंडी में भ्रष्टाचार की यह स्थिति न केवल प्रशासनिक व्यवस्था को कमजोर कर रही है, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी चोट पहुंचा रही है। यदि इस समस्या का शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो इसका प्रभाव स्थानीय विकास और नागरिक जीवन पर गहरा पड़ेगा।

रिपोर्टर

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