भिवंडी पालिका कार्यक्षेत्र में अवैध निर्माण का खेल जारी। पालिका की कार्रवाई पर उठे सवाल

भिवंडी । भिवंडी निजामपुर शहर महानगरपालिका के प्रभाग समिति क्रमांक 3 में दो दर्जन से अधिक अवैध इमारतों का निर्माण धड़ल्ले से जारी है। पिछले प्रशासक एवं आयुक्त के कार्यकाल के दौरान बिल्डरों और अधिकारियों के गठजोड़ से यह गोरखधंधा फलता-फूलता रहा, जिससे 50 से अधिक इमारतें, मकान और पॉवरलूम कारखाने तैयार हो गए।

अब जबकि भिवंडी महानगरपालिका आयुक्त एवं प्रशासक पद पर अनमोल सागर (भा.प्र.से.) की नियुक्ति हुई है, तो अचानक प्रभाग समिति क्रमांक 3 के अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। आनन-फानन में कुछ चुनिंदा अवैध इमारतों के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा किया जा रहा है, जबकि अन्य कई इमारतें आज भी निर्माणाधीन अवस्था में खड़ी हैं।

सूत्रों के अनुसार, सोसाइटी चाल, पदमा नगर, शास्त्री नगर, कामतघर, ताडाली, फेना पाड़ा और अंजूर फाटा जैसे इलाकों में अवैध निर्माण अब भी तेजी से जारी है। वहीं, पर प्रभाग के अधिकारियों ने सिर्फ चुनिंदा इमारतों पर ही कार्रवाई की, जिससे इसकी मंशा पर सवाल उठने लगे है। हाल ही में, प्रभारी सहायक आयुक्त सुरेंद्र भास्कर भोईर और प्रभारी बीट निरीक्षक सूरज गायकवाड़ की अगुवाई में मौजे कामतघर, नवीन कणेरी (सर्वे नंबर 30/0, सी.एस. नंबर 142, 9151) में स्थित घर नंबर 187/1/28/G/1 और 188/1/29/G/2 के दुकानों पर कार्रवाई लेकिन ठीक इसी इलाके में कई अन्य अवैध निर्माण कार्य अभी भी खुलेआम जारी हैं, जिस पर प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।

सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि प्रभाग समिति क्रमांक 3 के कार्यालय से महज चंद कदमों की दूरी पर एक पॉवरलूम कारखाने पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या यह अधिकारियों की मिलीभगत का नतीजा है?कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने स्थानीय अधिकारियों पर अवैध इमारतों को संरक्षण देने और बिल्डरों से मोटी वसूली करने का आरोप लगाया है। यदि प्रशासन वास्तव में अवैध निर्माण के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना चाहता है, तो बाकी निर्माणाधीन इमारतों को कब गिराया जाएगा? भिवंडी में अवैध निर्माण का यह खेल कोई नया नहीं है, लेकिन नए प्रशासक अनमोल सागर के कार्यकाल में क्या वाकई सख्त कदम उठाए जाएंगे या फिर यह भी महज एक दिखावा बनकर रह जाएगा? आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन की असली मंशा क्या है—अवैध निर्माण के खिलाफ कठोर कार्रवाई या फिर पुराने ढर्रे पर ही बिल्डरों के साथ गुपचुप समझौता?

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