अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्ध्य अर्पण


रोहतास। जिले में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रतियों ने भगवान भास्कर एवं छठी मैया से मन्नत मांगी। जिले के भलुनीधाम में बहुत भारी भीड़ देखी गई। जबकि जिला मुख्यालय सासाराम में डीएम उदिता सिंह एवं एसपी रौशन कुमार ने छठ घाटों का निरीक्षण किया।

चैती छठ पूजा के महत्व की बात करें, तो ऐसा माना जाता है कि सृष्टि की रचना का पहला दिन चैत्र नवरात्रि का पहला दिन था। इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। उस समय चारों तरफ अंधकार और जल ही जल था। ऐसे में भगवान विष्णु की आंख खुलते ही सूर्य और चंद्रमा की रचना हुई और ब्राह्मणी शक्ति से योग माया का जन्म हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार, योग माया जी ने सूर्य की पहली किरण को उत्पन्न किया, जिसे देवसेना माता कहा जाता है। इसी कारण देवसेना माता और सूर्य देव को भाई-बहन भी माना गया है। सृष्टि के छठवें दिन संसार को प्रकाश और ऊर्जा की प्राप्ति हुई, इसलिए सृष्टि देवी और सूर्य देव की आराधना के लिए छठ पर्व मनाया जाता है। इस दिन देवसेना माता ही षष्टी देवी के रूप में पूजी जाती हैं, जिन्हें छठी मैया भी कहा जाता है।चैती छठ पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक गर्मी और प्रकाश प्रदान करने के लिए सूर्य को धन्यवाद देने का एक तरीका माना गया है। मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से कई तरह की बीमारियां ठीक हो जाती है। इस दौरान व्रती नदी या तालाब के किनारे दूध, जल और गन्ने का रस लेकर अर्घ्य देते हैं। वहीं, प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू और फल भोग के तौर पर अर्पित किए जाते हैं।


किसी भी पर्व त्यौहार में उगते हुए सूर्य देव की ही पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन छठ पूजा इसलिए भी खास है, क्योंकि यहां उगते और डूबते सूरज की पूजा की जाती है। मान्यता ऐसी है कि सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने से जीवन में चल रही सभी कठिनाइयां दूर होती है। साथ ही सूर्य देव और छठी मां की कृपा से परिवार में सुख और शांति बनी रहती है। पौराणिक ग्रंथों में भी छठ का उल्लेख पाया जाता है।

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