पीएम आवास के नाम पर हो रही ठगी नागरिकों से कर्मचारी मांग रहे घूस

रिपोर्ट-राम मोहन अग्निहोत्री 

मानक के अनुरूप नहीं बन  रहे आवास

ज्ञानपुर  भदोही ।।  प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नगर में बनने वाले  आवास का मूल ढांचा डूडा आफिस तक ही सिमट कर रह गया है। जी हां, नगर में खोजने पर भी इस तरह का आवास दिखाई नहीं देगा। मतलब साफ है, कागजों में जो कुछ होता है वह धरातल पर नहीं दिखता देश में गरीबों के पास भी उनकी अपनी छत हो , इस मकसद से प्रधानमंत्री आवास योजना का संकल्प लिया गया । गरीब लाभार्थियों को घर की सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रशासन स्तर पर बजट भेजा गया , ताकि बनाई गई रूपरेखा के आधार पर लोगों को धन मुहैया कराकर उन्हें आवास का इंतजाम दिया जा सके। लेकिन  भ्रष्टाचार के चलते योजना पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पा रही है। इसका विरोध करने पर कार्यालय कर्मियों द्वारा अपशब्दों का प्रयोग किया जाता है । पीएम आवास योजना में हो रहे भ्रष्टाचार का यह कोई पहला मामला नहीं है । इससे पहले भी कई शिकायतें की जा चुकी है

       प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत लाभार्थी को दो लाख 50 हजार रुपये अवमुक्त होते हैं। प्रथम किस्त 50 हजार, दूसरी किस्त एक लाख 50 हजार व शौचालय निर्माण के बाद अंतिम किस्त 50 हजार रुपये लाभार्थी के खाते में आहरित होता है। आवास का मूल ढांचा भी बकायदा चिन्हित किया गया है। बरामदे के अलावा एक रूम, किचन, शौचालय का निर्माण किया जाना है। रंगरोगन के साथ ही आवास पर प्रधानमंत्री आवास अंकित होना जरूरी है। इन नियम कायदे को ताक पर रखकर मनमाने ढंग से पीएम आवास का निर्माण किया जा रहा है। धरातल पर देखा जाए तो स्थिति चौकाने वाली है । योजना के तहत बनने वाले आवासों में मानक की खुलेआम अनदेखी की जा रही है । मॉडल के अनुरूप आवास का निर्माण नहीं कराया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास के निर्माण की गुणवत्ता को लेकर गंभीरता नहीं बरती जा रही है । यदि सत्यापन किया जाए तो कई प्रधानमंत्री आवास मानक के अनुरूप नहीं बने हैं। ज्ञानपुर नगर के पुरानी बाजार वार्ड संख्या 11के निवासी अवधेश और काशी के प्रधानमंत्री आवास मानक के अनुरूप नहीं बनवाए गए हैं । जिसमें डूडा के जेई व अफसरों को मानक के अनुरूप आवास निर्माण न कराए जाने पर लाभार्थी को नोटिस देना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया । लोगों का नाम आवास सूची से सर्वे कर रहे डूडा के कर्मचारियों ने पैसा न देने पर बाहर कर दिया । इसे लेकर कस्बे की कई महिलाओं ने अफसरों को प्रार्थना पत्र देकर जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है ।वहीं  डूड़ा के कर्मचारियों पर पैसा लेकर नाम काटने और नाम बढ़ाने का आरोप लगाया है। यह भी आरोप लगाया है कि जियो टैग करने पर वह पैसा भेजने के लिए पांच 5000 (पांच हजार) रुपये की कर्मचारियों द्वारा मांग की गई । पैसा न देने पर कर्मचारी उनके खाते में आवास का पैसा नहीं भेजे हैं । जबकि वहींं कई लोगों को बिना आवास बने ही पैसा लेकर आवास का भुगतान कर दिया गया है। कहा है कि कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखा जाएगा

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