सही से मॉनिटरिंग होती तो बेजुबान जानवरो की बच जाती जान
- Hindi Samaachar
- Sep 26, 2019
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शाहगंज ब्लॉक के शाहापुर गौशाला केंद्र पर कर्मचारियों की लापरवाही से मात्र दो दिन के अन्तराल में पशुशाला आश्रय केन्द्र पर तड़प तड़प के बेजुबान जानवरो ने दम तोड़ दिया।समुचित देखभाल और इलाज समय पर होता तो जानवरो को बचाया जा सकता था।फिर भी जिम्मेदार सिर्फ मरने की आंकड़े बाजी और मृत जानवरों के गड्ढे जेसीबी से बनाने में मशगूल रहे। पशु चिकित्साधिकारी तो सिर्फ एक गाय मरने की बात स्वीकार कर रहे है।
गौरतलब है कि यूपी सरकार ने गोशाला के रखरखाव के लिए करीब 600 करोड़ रुपये आवंटित किया है।जिस से आवारा पशुओं को सुरक्षित स्थान के साथ चारा का मुकम्मल इंतजाम किया है।शाहापुर गांव में बना हॉटपैड को 14 जून को जिलाधिकारी के आदेश पर गोशाला बनाया गया है।उसी दौरान डीएम ने बाकायदा निरक्षरण भी किया।50 गाये,केंद्र में समरसेबुल के साथ लाइट और जानवरों के दिए जा रहे चारो की जानकारी ली।गोशाला की देख रेख की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी ब्लॉक के बीडीओ और पशुचिकित्साधिकारी को दिया गया है।कई शिफ्टों में 26 सफाई कर्मचारियों पशुओं की देख रेख में लगा दिया गया।शेष बचे 42 पशुओं में से तीन मौत हो जान से 39 बचे है।रोज तीन शिफ़्ट 6 सफाईकर्मी की तैनाती है। अब सवाल उठता है कि इतनी कर्मचारियों की देख रेख ऊपर से ब्लॉक के पशुचिकित्साधिकारी की मॉनिटरिंग के बाद भी मात्र दो दिन में तीन पशु की मौत सवाल खड़े हो रहे है।सीएम योगी आदित्यनाथ के कड़े तेवर के चलते सूबेभर के अधिकारी हाँफते नजर आरहे है।उन्होंने साफ कहा कि अगर एक भी जानवर की मौत हुई तो उस जनपद का डीएम जिम्मेदार होगा।यहां तो मातहत उच्चधिकारियों की डर से मृत जानवरो के आंकड़े कम करने के लिए जेसीबी से गड्ढे बनाने में जुटे रहे।अगर पशुचीकत्साधिकारी बिपिन कुमार सोनकर समय रहते आलाधिकारियों को खबर कर देते की,रखरखाव और चारा की कमी चलते मौत हो रही है तो पशुओं की मौत रोका जा सकता था।
रिपोर्टर