सत्यगाथा

किस करवट मे लोटता राजनीति क़ा ऊंट

नफरत  की है बानगी  दुष्प्रचार और झूठ 

दुष्प्रचार और झूठ छूट इतनी क्यो ज्यादा 

करता सहन वजीर ,दिखाता आँखे प्यादा 

कह बृजेश कविराय , दलाली पहले खाये 

राफल  पर  हर चोर , जोर से शोर मचाये 


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