महाराष्ट्र में बिजली बिल माफ नहीं हुआ तो मातोश्री का घेराव होगा - खालिद गुड्डू अध्यक्ष AIMIM भिवंडी शहर‌

भिवंडी।। कोरोना वैश्विक महामारी के कारण 22 मार्च से देश तालाबंदी में है। तालाबंदी होने के बाद भी कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 5 लाख के ऊपर पहुँच चुकी हैं. केन्द्र व राज्य सरकार इस महामारी के रोकथाम में विफल रही हैं.लगभग तीन महीने से रोजगार , कंपनियाँ, कारखानें बंद होने से मजदूर व जनता भुखमरी के कगार पर खड़ी हैं। लाखों मजदूर सरकार के तरफ से किसी प्रकार की मदद नहीं मिलने से पैदल ही अपने अपने मूलगांव पलायन कर चुके हैं।‌

कोरोना वायरस के डर से लोग अपने घरों में ही तीन महिने से कैद हैं. "बाहर नहीं निकले तो भूख से मरना हैं अगर निकले तो कोरोना से मरना तय हैं " इस प्रकार की हालात नागरिकों की हो चुकी हैं। किन्तु महाराष्ट्र राज्य विधुत नियामक बोर्ड ने भुखमरी के कगार पर खड़ी जनता के मार्च से जुन महीने के बिजली बिल मनमाने तरीके से भेजकर बिल भरने के लिए परेशान कर रही हैं।

भिवंडी शहर में बिजली सप्लाई व बिल वसूल करने का ठेका राज्य सरकार ने टोरेंट पावर कंपनी को दे रखा हैं.लाॅक डाउन के दरम्यान तीन महिने का बिजली बिल तीन गुना ज्यादा भेजे जाने से नागरिकों में आक्रोश व्याप्त हैं।

गौरतलब हो भिवंडी कामगारों का शहर हैं यहाँ से बना कच्चा कपड़ा पूरे विश्व में बेचा जाता हैं। लाॅक डाउन में कपड़ा उद्योग से जुड़े सभी व्यवसाय बंद था.पावरलूम में काम करने वाले मजदूर पैदल ही अपने मूलगांव पलायन कर गये हैं. मजदूर नही होने के कारण आज भी अधिकांश पावरलूम कारखाने बंद पड़े हुए हैं. ऐसे समय में कामगार सहित लूम मालिक भी भुखमरी के कगार पर खड़े हैं.नागरिकों की हालात दयनीय होने के बाद भी शहर में बिजली सप्लाई करने वाली टोरेंट पावर कंपनी इन्हें तीन गुना ज्यादा बिल भेजकर मानसिक व आर्थिक रुप से परेशान कर रही हैं.नागरिक बिजली बिल कहा से भरें, इसको लेकर चिंता में हैं।
        
खालिद गुडडू ने 15 जून को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर महाराष्ट्र के बिजली बिल माफ करने की मांग किया था.लेकिन लोगों में गुस्सा है कि महाराष्ट्र सरकार ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। वही पर भिवंडी शहर AIMIM अध्यक्ष खालिद गुडडू ने कहा कि अगर 15 जुलाई से पहले पूरे महाराष्ट्र का बिजली बिल माफ नहीं किया गया.तो 20 जुलाई को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मातोश्री आवास का घेराबंदी किया जायेगा। सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि महाराष्ट्र सरकार क्या फैसला लेगी ?

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