प्रेस व पुलिस लिखी गाड़ियों की शहर में भरमार

भिवंडी।। शहर के मुख्य सड़कों सहित गलियारों में पुलिस अथवा प्रेस लिखी गाडियां फराटें मारती देखी जा सकती है.ऐसे वाहन चालक प्रेस, पुलिस के सिम्बल के आड़ में अपराधी किस्म के लोग होने से इनकार नहीं किया जा सकता है यही नहीं कुछ आपराधिक किस्म के लोग प्रेस अथवा पुलिस लिखे वाहनों से प्रतिबंधित चीज़ों की सप्लाई भी करते है.नाकाबंदी के दरम्यान पकड़े जाने पर यही लोग पुलिस कर्मियों पर किसी बड़े अखबार का धौंस देते हुए दिखाई पड़ते है.जिसके कारण पुलिस भी प्रेस लिखी गाड़ियों पर कार्रवाई करने से अपना पल्ला झाड़ लेती है।

भिवंडी शहर में दररोज एक हजार से ज्यादा प्रेस लिखे वाहन दिखाई देते है अथवा हम कह सकते है 100 वाहनों के बाद एक वाहन पर प्रेस लिखा ही रहता है.वैसे शहर में लगभग पांच दर्जन से ज्यादा फर्जी पत्रकार है.इतने ही सोसल मीडिया के साइट यूट्यूब पर फर्जी न्युज चैनल चलाने वाले स्वयं घोषित संपादक है.शासन व प्रशासन के आला अधिकारी भी सोसल मीडिया के फर्जी पत्रकारों को बुलाकर बड़े बड़े इंटरव्यू देकर शहर में खुब वाहवाही लूटते है जिसके कारण इन फर्जी पत्रकारों का मनोबल बढ़ता जा रहा है।
शहर में दूध का व्यवसाय करने वाला अनपढ़ भी सोसल मीडिया का पत्रकार ,संपादक बनकर बड़े बड़े आला अधिकारियों को इंटरव्यू लेकर न्युज जैसा विडियो बनाकर व्हाट्सेप , फेसबुक , टि्वटर पर अपलोड कर देता है.यही नहीं पानी माफिया, मोटर मैकेनिक, फोटो स्टुडियो चालक, ऑटो ड्राइवर, मटका माफिया, शराब माफिया जैसे लोग भी सोसल मीडिया, यूट्यूब चैनलों के संपादक है.यूट्यूब पर न्युज चैनल वाले संपादक स्वयं घोषित कार्ड धारक होते है अथवा हम कह सकते है कि अपने आई कार्ड पर स्वयं सिग्नेचर कर प्रेस कार्ड धारक बन जाते है इसके बाद अपराधी किस्म के लोगों को प्रेस कार्ड जारी कर उनसे मोटी रकम वसूल लेते है.जिससे उनका भी धंधा जोरशोर से चल पड़ता है.यही नहीं एक दर्जन से ज्यादा फर्जी पत्रकार शहर में पैदा कर देते है जो अपने वाहनों पर प्रेस लिखवाकर पुलिस कर्मियों पर धौंस जमाते रहते है।

बता दें कि इन दिनों पुलिस व प्रेस लिखे वाहनों की भरमार है.भाई-भतीजा, बाप-बेटा, काका-चाचा सभी इसका लाभ लेकर चल रहे है. इससे अपराधियों के संरक्षण को बल मिल रहा है.पुलिस व प्रेस लिखे दो या चार पहिया वाले वाहनों को चेकिग में अक्सर पुलिस छोड़ देती है.यह नहीं देखा जाता कि गाड़ी में क्या है ? कहीं हथियार या अन्य तस्करी के सामान तो नहीं.शहरी क्षेत्र सहित आसपास के गांवों की सड़कों पर अधिकांश मोटरसाइकिल के नंबर प्लेट पर पुलिस अथवा प्रेस लिखा अक्सर दिखाई देता रहता है.ऐसी गाड़ियों से आमजन व प्रशासन के लोग भ्रमित हो जाते है.ऐसे कुछ वाहन स्वामी अपने आपको बड़े अखबार का पत्रकार होने की बात कहकर धौंस भी जमाते है. इसके साथ ही कुछ तथाकथित लोग अपने को पत्रकार बताकर पुलिस पर रौब झाड़ते है.वहीं पुलिस लिखे वाहनों की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है. क्या पुलिस ऐसे वाहनों की धरपकड़ करने के लिए अभियान चलाऐगी इस प्रकार का सवाल दक्ष नागरिक उठा रहे है।

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