सत्यगाथा



कुत्ते  बिल्ली  रोई  रहें , रोते  गर्दभ  श्वान 

अधिकारो क़ा हनन ये बोले चतुर सुजान 

बोले चतुर सुजान ,घसीटा क्यो अतिरेकी 

मढ़ते  लांछन  खूब , कहे सेना अविवेकी 

कह बृजेश कविराय मगर भारत के वीरों 

सुनो ना इनकी एक ,सभी क़ा सीना चीरो 


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