हिन्दी दिलों पर राज करने वाली भाषा है , प्रगति के लिए पूरा आकाश है,मगर जमीन (मातृभाषा एवं संस्कृति ) से जुड़े रहना भी जरूरी है.....।

भिवंडी शहर। 

हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में भिवंडी के आशीर्वाद हिन्दी हाईस्कूल में 'राजभाषा हिन्दी और उसका भविष्य' विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में रईस हाईस्कूल एंड जूनियर कॉलेज के प्रधानाचार्य जियाउर्रहमान अंसारी ने कहा कि हमें तमाम भाषाओं का ज्ञान हासिल करना चाहिए। आसमान की ऊँचाइयों तक जाना चाहिए, लेकिन हमारा पैर हमेशा जमीन पर रहना चाहिए और जमीन हमारी मातृभाषा है।


तरक्की और विकास की इस अंधी दौड़ में हमें अपनी मातृभाषा और संस्कृति नही भूलना चाहिए। प्रगति के लिए पूरा आकाश है लेकिन जमीन (मातृभाषा एवं संस्कृति ) से जुड़े रहना भी जरूरी है। इस अवसर पर हिन्दी भाषा के प्रचार,प्रसार एवं उसके उत्थान के लिए एक अंतरविद्यालयीन निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था और राजभाषा हिन्दी और उसका भविष्य विषय पर आयोजित संगोष्ठी में वक्तव्य देने के लिए हिन्दी,ऊर्दू,मराठी एवं अंग्रेजी स्कूलों के शिक्षकों को आमंत्रित किया गया था। उक्त कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ.डी.एस.पालीवाल तथा प्रमुख अतिथि के रूप में धर्मसेवक सोन्या पाटिल, मुख्यअतिथि जियाउर्रहमान अंसारी एवं विशेष अतिथि के रूप में उर्दू के वरिष्ठ साहित्यकार,कवि एवं लेखक मो.रफी अंसारी  उपस्थित थे। 


   संगोष्ठी के मुख्यअतिथि रईस हाईस्कूल एंड जूनियर कॉलेज के प्रधानाचार्य जियाउर्रहमान अंसारी ने कहा कि हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार का स्कूल सबसे बड़ा माध्यम है। स्कूली छात्रों को प्रतिदिन केवल दो रुपया जेबखर्च से बचाकर महीने में कोई अच्छी ज्ञानवर्धक पुस्तक अथवा समाचार पत्र आदि अवश्य खरीदना चाहिए। इससे छात्रों का ज्ञान भी बढ़ेगा और वे अपनी मातृभाषा एवं संस्कृति से भी जुड़े रहेंगे। तरक्की एवं विकास की इस अंधी दौड़ में हमें अपनी मातृभाषा एवं संस्कृति से जुड़े रहना बहुत ही आवश्यक है। 


 हिन्दी दिलों पर राज करने वाली भाषा है । 


   इसी प्रकार विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित वरिष्ठ साहित्यकार,कवि एवं लेखक मो.रफी अंसारी सर ने हिन्दी भाषा को लोगों के दिलों की भाषा बताते हुए कहा कि देश में 22 भाषाएं हैं। जिसमें पूरे देश में हिन्दी की अलग पहचान है। सभी भारतीय भाषाएं हिन्दी की सहयोगी हैं, उसमें हिन्दी भाषा सर्वोपरि है। मो.रफी अंसारी ने हिन्दी को दिलों पर राज करने वाली भाषा बताते हुए कहा कि- 


दिल से निकली,दिल में उतरी,फ़ैल गई फिर चारो ओर,जैसी मेरी उर्दू भाषा,वैसे मेरी हिन्दी है। 


22 भाषाओं का अपना राज है,अपना गुलशन है,राज दिलों पर करने वाली केवल अपनी हिन्दी है। 


  संगोष्ठी के मुख्य  वक्ता सलाहुद्दीन अय्यूबी मेमोरियल उर्दू हाईस्कूल के वरिष्ठ शिक्षक खान जाकिर हुसैन सर ने अमीर खुसरो से लेकर अभी तक की हिन्दी पर प्रकाश डाला। हिन्दी राष्ट्रभाषा के बजाय राजभाषा बनकर क्यों रह गई की चर्चा करते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दिनों में हिन्दी की स्थिति और उसे राष्ट्र भाषा बनाए जाने पर देश के सभी नेता एकमत थे। आज़ादी के बाद दक्षिण के राज्यों से विरोध का स्वर उभरने लगा और वही विरोध राष्ट्रभाषा बनने के मार्ग में सबसे बड़ी  रुकावट बन गई जिसके कारण उसे राजभाषा का पद दिया गया। लेकिन एक मात्र राजभाषा फिर भी नही बन पाई। 15 सालों के लिए उसके साथ अंग्रेजी भाषा को रहने का प्रावधान कर दिया गया, एक प्रकार से अंग्रेजी को हिन्दी का सौतन बना दिया गया, और अंततः 1963 में भाषा अधिनियम में अंग्रेजी को रहने की अनुमति दे दी गयी, 1967 में भाषा अधिनियम संसोधन के बाद अंग्रेजी को हिन्दी के साथ सदा सर्वदा रहने की अनुमति दे दी गई । जिसके कारण अंग्रजी, हिन्दी के साथ सह राजभाषा बनी रहेगी। वर्तमान परस्तिथि यह है कि जब तक भारत का कोई भी एक राज चाहेगा,तब तक अंग्रेजी को हटाया नही जा सकेगा। ण


    दिनों-दिन बंद हो रहे भाषाई स्कूलों पर चिंता व्यक्त करते हुए पूर्व विधायक अब्दुल रशीद ताहिर मोमिन ने कहा कि मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए भाषा का उचित सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से हिन्दी भाषा सहित अन्य मातृभाषाओं को बढ़ावा देने के लिए उचित कदम उठाने की मांग की। अपनी अध्यक्षीय भाषण में शिक्षा विद डॉ.डी.एस.पालीवाल ने कहा कि हिन्दी दिवस मनाने के साथ लोगों के दिलों में हिन्दी भाषा के लिए तरंग पैदा करना चाहिए। स्कूलों में इस प्रकार का प्रयोग किया जाना चाहिए ताकि बच्चे ज्यादा से ज्यादा हिन्दी भाषा का उपयोग कर सकें। इस संगोष्ठी को चाचा नेहरु हिन्दी हाईस्कूल के मुख्याध्यापक अनिलकुमार सिंह,श्री स्त्य्नारायन हिन्दी माध्यमिक विद्यालय के मुख्याध्यापक हंसराज सिंह एवं श्री ओमप्रकाश अग्रवाल इंग्लिश हाईस्कूल के मुख्याध्यापक त्रिभुवन चौरसिया ने भी अपना विचार व्यक्त किया। आए हुए अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम के आयोजक वी.के.सिंह एवं संचालन एवं आभार दीपक सिंह ने व्यक्त किया। 


 उक्त अवसर पर आशीर्वाद शिक्षण प्रसार मंडल द्वारा रईस हाईस्कूल एंड जूनियर कॉलेज के सेवानिवृत उपप्रधानाचार्य अब्दुल अजीज अंसारी को राजभाषा सद्भावना पुरकार से सम्मानित किया गया, जिन्हें संस्था के सचिव डॉ.डी.एस.पालीवाल एवं रईस कॉलेज के प्रधानाचार्य जियाउर्रहमान अंसारी के हाथों प्रशस्ति पत्र,सम्मान चिन्ह एवं शाल श्रीफल देकर उन्हें सम्मानित किया गया। राजभाषा सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद संस्था के प्रति आभार व्यक्त करते हुए हिन्दी के विकास एवं उसके उत्थान को लेकर अब्दुल अजीज अंसारी ने छात्रो से कहा कि बच्चों को ज्यादा से ज्यादा ऊंचाई पर जाना चाहिए। खूब तरक्की करनी चाहिए, लेकिन उसका उपयोग किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नही बल्कि समाज में बदलाव लाने के लिए किया जाना चाहिए।      


    राजभाषा प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित, 


हिन्दी दिवस के अवसर पर राजभाषा हिन्दी के विकास एवं उसके उत्थान के लिए 'राजभाषा हिन्दी और उसका भविष्य' विषय पर एक निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। जिसके लिए शहर के हिन्दी,उर्दू एवं मराठी के 18 स्कूलों के बच्चों को आमंत्रित किया गया था जिसमें आठ स्कूलों के बच्चे शामिल थे। जिसमें नदीनाका हिन्दी हाईस्कूल की छात्रा सीता शाह ने प्रथम स्थान,श्री सत्यनारायण हिन्दी माध्यमिक विद्यालय के छात्र मनीष प्रजापति ने दिव्तीय और आशीर्वाद हिन्दी हाईस्कूल की छात्रा अंकिता सिंह ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। जिन्हें समारोह के अध्यक्ष डॉ.डी.एस.पालीवाल,पूर्व विधायक एडवोकेट अब्दुल रशीद ताहिर मोमिन एवं रईस हाईस्कूल एंड जूनियर कॉलेज के प्रधानाचार्य जियाउर्रहमान अंसारी द्वारा प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान चिन्ह देकर पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर निबन्ध प्रतियोगिता में विशेष योगदान देने वाले शिक्षक एस.डी.चौगुले एवं आकाश पांडेय को सम्मानित किया गया। इस समारोह में चाचा नेहरु हिन्दी हाईस्कूल के उप मुख्याध्यापक संतोष उपाध्याय,नदीनाका हिन्दी हाईस्कूल के मुख्याध्यापक अजय नायक,श्रीराम हिन्दी हाईस्कूल के वरिष्ठ शिक्षक आरिफ अंसारी,सुजीत मिश्रा,बिंदल हिन्दी विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक शिवपूजन पांडेय,प्रमोद पांडेय एवं किरन शेवाले,एडो.योगेश चौरसिया सहित पत्रकार दानिश आजमी,खालिद अंसारी,एम.हुसैन,वीरेंद्र मिश्र एवं अरविंद यादव सहित भारी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थिति थे। संगोष्ठी एवं निबन्ध प्रतियोगिता को सफल बनाने में स्कूल के शिक्षक आर.एम.श्रीवास,आनंद सिंह,महफूज अंसारी,गणेश पाटिल,राहुल अहिरे,सज्जन मुल्ला,साबिर अंसारी एवं लालबिहारी विश्वकर्मा ने अथक प्रयास किया है जो बधाई के पात्र हैं। 

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