जल्द महाराष्ट्र के राजनिति मे भी दिख सकता है- दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है

मुंबई।। इस समय महाराष्ट्र के राजनित मे चारों तरफ जोड़तोड़ की राजनीति गुपचुप मे चल रही है। एक तरफ महाविकास आघाडी़ सरकार का आपसी टकराव दिखाई दे रहा है। तो दुसरी तरफ भाजपा अपना जनाधार बढाने और नये सहयोगी बनाने का प्रयास मनसे के साथ कर रही है। हाल ही में दिल्ली में शिवसेना सांसद संजय राउत और कांग्रेस नेता राहुल गांधी कई बार एक साथ दिखाई दे रहे थे। और दुसरी तरफ महाराष्ट्र के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल राज ठाकरे से मुलाकात।

कांग्रेस-शिवसेना के मजबूरी वाले गठबंधन पर महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले का बयान भी लोगों के लिए हैरान करने वाला है। उन्होंने यह कहकर सियासी हलचल बढ़ा दी थी कि कांग्रेस अपने बलबूते पर आगे का चुनाव लड़ेगी। माना यह जा रहा था कि नाना पटोले, राहुल गांधी के कहने पर यह सियासी बयानबाजी कर रहे थे।

क्यो बढ़ी थी कांग्रेस-शिवसेना में तकरार? - यह बयानबाजी दरअसल तब शुरू हुई जब अपने बयानों के लिए मशहूर शिवसेना नेता संजय राउत ने राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर कई सवाल खड़े कर दिए। ऐसे में माना जा रहा था कि कांग्रेस की ओर से बयानों को लेकर काउंटर अटैक किया जा रहा था। अब शिवसेना और राहुल गांधी दोनों को समझ आ गया है कि बीजेपी के वर्चस्ववाद के शिकार दोनों राजनीतिक पार्टियां हो सकती हैं। दोनों अतीत तो नहीं सुधार सकते हैं लेकिन वर्तमान और भविष्य को बचा सकते हैं। दूसरी तरफ शिवसेना में एक वर्ग है, उसे लगता है कि अब केंद्र में भी बीजेपी के खिलाफ राजनिती करने का वक्त आ गया है। उस वर्ग को लगता है कि साथ में रहने के बाद भी बीजेपी उन्हें निगल सकती है। इससे बेहतर कमजोर कांग्रेस का साथ देना होगा, जो महाराष्ट्र में शिवसेना के लिए कम से कम कुछ साल के लिए चैलेंज नही बन सकती। अगर उद्धव ठाकरे की मौजुदा सरकार टिकेगी तो 2024 में बीजेपी के लिए महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव मुश्किल भरे हो सकते हैं।

बीजेपी और मनसे का गंठबंधन - बीजेपी के लिए सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि उत्तर भारतियों के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले राज ठाकरे को साथ में कैसे लिया जाए। लेकिन दोनों दलों को सियासी माहौल ने यह इशारा कर दिया है कि दोनों को साथ आना होगा अगर शिवसेना से लड़ाई लड़नी है। दरअसल बीजेपी के महाराष्ट्र के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल राज ठाकरे से मिले और उसके बाद बाहर निकलकर मीडिया को कहा कि जैसे 'दो हिंदू' एक-दूसरे से मिलने के बाद कहते वैसे हम फिर मिलेंगे।

राज ठाकरे और उत्तर भारतीयों का विरोध- चंद्रकांत पाटिल ने यह भी कहा कि राज ठाकरे उत्तर भारतीय विरोधी नहीं हैं। बीजेपी को भी इस बात का एहसास है कि 2022 में होने वाले महानगर पालिकाओं के चुनाव में अगर पार्टी शिवसेना और महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार को मात नहीं देगी तो बेहद मुश्किल होगी।

फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं राज ठाकरे- मुंबई, ठाणे, कल्याण और नासिक में बीजेपी का सीधा मुकाबला शिवसेना से है। पुणे में नेशनिलस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से और नागपुर में कांग्रेस से। बीजेपी की मुख्य लड़ाई मुंबई में रहेगी, ऐसे में अगर शिवसेना और एनसीएसी अगर साथ आ गए, तो बीजेपी की राह मुश्किल हो जाएगी। ऐसे में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे राज ठाकरे को साथ लेकर बीजेपी उन्हें राजनीतिक जीवनदान कर सकती है।

राज ठाकरे अब भी संभलकर चलना चाहते हैं कि कहीं बीजेपी वापस शिवसेना को मनाने में कामयाब रही, तब उन्हें दोबारा मुंह की खानी पड़ेगी। लेकिन मुंबई, ठाणे, पुणे और नासिक के लिए बीजेपी के साथ उनकी बातचीत धीमी गति से शुरु हो चुकी है। महाराष्ट्र में नए समीकरणों के दिन है।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट