मां और शिशु की सेहत के लिए दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतर जरूरी
- रामजी गुप्ता, सहायक संपादक बिहार
- Sep 10, 2021
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दम्पति संपर्क सप्ताह को लेकर आशा कार्यकर्ता परिवार नियोजन की दे रही जानकारी
बक्सर ।। जिले में जनसंख्या नियंत्रण के साथ जच्चा-बच्चा स्वास्थ को दुरुस्त करने के उद्देश्य से समय समय पर परिवार नियोजन पखवाड़ा का अयोजन किया जाता है। ताकि, अधिक से अधिक लोग परिवार नियोजन के महत्व को समझे और इसे अपनाए। इस क्रम में जिले में भी परिवार नियोजन पखवाड़ा के आयोजन किया जाने वाला है। इस कार्यक्रम में आशा कार्यकर्ताओ भूमिका अहम रहेगी। कार्यक्रम के तहत जिले में आशा कार्यकर्ता अभी से दंपतियों को परिवार नियोजन के फायदों व अनचाहे गर्भधारण को रोकने के लिए आवश्यक आधुनिक साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करा रही हैं। आशाओं द्वारा सही उम्र में शादी, शादी के दो साल बाद पहला बच्चा, दो बच्चों में तीन साल का अंतर, प्रसव या गर्भपात के बाद परिवार नियोजन के स्थायी एवं अस्थायी उपाय तथा परिवार कल्याण ऑपेरशन में पुरुषों की भागीदारी पर चर्चा करने के साथ अस्थायी एवं स्थायी उपायों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
आधुनिक साधन का इस्तेमाल कर सकती हैं महिलाएं :
डीसीएम संतोष कुमार राय ने बताया, कोरोना काल में भी परिवार नियोजन के सभी आधुनिक गर्भनिराध के साधनों का प्रयोग भरपूर हुआ है। यदि कोई महिला गर्भधारण नहीं करना चाहती हैं, तो वह अपनी पंसद के गर्भनिरोध के आधुनिक साधन का इस्तेमाल कर सकती हैं। साथ ही, पुरुषों के लिए कंडोम का इस्तेमाल गर्भधारण को रोकने और यौन संचारित रोगों जैसे एचआइवी संक्रमण की रोकथाम के लिए कारगर है। उन्होंने बताया, राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देशानुसार मिशन परिवार विकास अभियान 25 सितंबर पर आयोजित किया जायेगा जिसके तहत 12 सितंबर तक दंपत्ति संपर्क सप्ताह और 13 सितंबर से 25 सितंबर तक परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा का आयोजन किया जाना है।
मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी सुधार जा सकता है :
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अनिल भट्ट ने बताया, हमारे पास संसाधन सीमित हैं, ऐसे में आबादी को भी सीमित रखना बहुत ही जरूरी है। दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर रखना चाहिए, ताकि महिला का शरीर पूरी तरह से दूसरे गर्भधारण के लिए तैयार हो सके। इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी सुधार जा सकता है। हालांकि, इस बात पर भी ध्याम देना जरूरी है कि दो बच्चों के बीच न ज्यादा अधिक और न ही कम अंतराल हो। एसीएमओ ने नव दम्पति को शादी के दो साल बाद ही बच्चे के बारे में सोचने के प्रति जागरूक करने की बात कही। उन्होंने कहा, अगर बच्चों की संख्या व उनके पैदा होने के समय पर नियंत्रण है तो महिला अधिक स्वस्थ रहेगी।
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