खांसी की आवाज़ करायेगा टीबी की पहचान

•जिले में "फिल्डी एप" से होगी टीबी रोगियों की जांच 

•वर्चुअल माध्यम से टीबी विभाग से जुड़े अधिकारी और कर्मियों को दो दी गई ट्रेनिंग

भभुआ ।। टीबी के मरीजों की जांच के लिए अब बलगम नहीं, खांसी की आवाज के सैंपल लिए जाएंगे। सरकार ने एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए "फिल्डी एप" नाम से मोबाइल एप तैयार कराया है। कफ साउंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड सॉल्यूशन ट्रू डिटेक्ट टीबी प्रोग्राम के तहत इसका ट्रायल शुरू किया है। अगर यह सफल रहा तो टीबी मरीजों को चिह्नित करने में काफी सहूलियत होगी तथा उनका इलाज ससमय हो पाएगा। परीक्षण सफल होने पर इस एप के माध्यम से घर-घर जाकर ऐसे रोगियों की पहचान की जा सकेगी। रोगी की पहचान होने पर प्रोत्साहित कर सफल इलाज कराने वाले ट्रीटमेंट सपोर्टर को 1000 रुपए प्रोत्साहन राशि जबकि टीबी से संक्रमित मरीजों को  पोषण योजना के तहत 500 रुपए कोर्स पूरा करने तक दिया जाएगा।

सैंपल कलेक्ट कर होगी स्टडी:

आवाज के जरिए टीबी की पहचान करने के लिए पटना सहित बिहार के अलग-अलग जिलों से सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं। इसमें कई जिलों को शामिल किया गया है। जिले में सभी प्रखंडों में सैंपल कलेक्ट किए जा रहे हैं । पटना जिला में 27 जनवरी से 3 फ़रवरी तक सैंपल कलेक्शन का काम किया गया. एक्सपर्ट इन सैंपल्स से माइक्रो रिसर्च और स्टडी का काम शुरू करेंगे। इसमें देखा जाएगा कि सामान्य व्यक्ति की आवाज और टीबी के मरीज की आवाज में क्या अंतर आता है। इसके लिए चिह्नित लोगों के नाम व पते गोपनीय रखे जाएंगे । सैंपल संग्रहण के लिए मरीज के तीन बार खांसते हुए आवाज एप पर रिकॉर्ड की जाती है। 10 सेकेंड की रिकॉर्डिंग में 5 स्वर अक्षर के उच्चारण को भी रिकॉर्ड किया जाता है. सैंपल टीम द्वारा अपने मोबाइल में एप डाउनलोड किया गया। जिसमें मरीज के पास जाकर उनकी आवाज रिकॉर्ड की गयी। इसके बाद आवाज को एप्लीकेशन के जरिए सेव कर रिसर्च सेंटर भेजा जाएगा।

शुक्रवार को आयोजित वर्चुअल मीटिंग में शामिल हुए जिला भर में कार्यरत एसटीएस और एसटीएलएस : 

केंद्रीय यक्ष्मा प्रभाग, भारत सरकार के द्वारा " कफ साउंड फ़ॉर द आर्टिफिशल इंटेलीजेंस बेस्ड सॉल्यूशन टू डिटेक्ट टीबी"विषय पर शुक्रवार को आयोजित ऑनलाइन वर्चुअल मीटिंग में  27 जनवरी से 3 फरवरी के बीच संग्रहित डाटा के साथ डिस्ट्रिक्ट टीबी सेंटर में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारी के साथ-साथ जिला के सभी प्रखंड़ों में टीबी और एचआईवी मरीजों का डाटा संग्रहित करने वाले एसटीएस और एसटीएल एस शामिल हुए। 27 जनवरी से 3 फरवरी तक नए मोबाइल एप के माध्यम से खांसी की आवाज़ के आधार पर टीबी मरीज़ों को चिह्नित करने के इस कार्यक्रम के सफल संचालन को ले अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (यक्ष्मा) डॉ. बाल कृष्ण मिश्र का पत्र प्राप्त हुआ है। यदि यह टेक्नोलॉजी सफल होती है तो टीबी की पहचान और इलाज काफी आसान हो जाएगा। समय की भी काफी बचत होगी। इससे मरीजों को बहुत फायदा होगा।

रिपोर्टर

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