"चर्चा-ए-सियासत" - मिल्कीपुर में दलित व अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता सिद्ध होंगे निर्णायक

लोग अपने - अपने प्रत्याशियों की जीत का कर रहे दावा


अमानीगंज, अयोध्या ।। अयोध्या जनपद के मिल्कीपुर सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र में 27 फरवरी को संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद कार्यकर्ता अपने अपने दल के प्रत्याशियों की जीत का दावा करते नजर आ रहे हैं कोई जातीय समीकरण तो कोई विकास के मुद्दे को आधार बता रहे हैं। शुक्रवार को अमानीगंज विकासखंड के महात्मा गांधी चौराहे पर स्थित मिश्रा की चाय दुकान पर जीत हार को लेकर लोग घंटों तक चर्चा करते रहे। 

चाय की दुकान पर घंटों चली चुनावी चर्चा में यह बातें निकल कर आई कि मिल्कीपुर में जहां एक ओर अधिसंख्य यादव व मुस्लिम मतदाता सपा के पाले में खड़े नजर आए तो वही ब्राह्मण क्षत्रिय मतदाता की भागीदारी भाजपा में कम नहीं रही ऐसे में मिल्कीपुर के चुनावी नतीजों पर दलित मतदाताओं का रोल अहम हो जाता है अधिकांश लोग मानते हैं की दलितों की भागीदारी जिस दल में अधिक रही होगी उसकी ही जीत होगी। कुछ लोग अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को भी समीकरण बदलने में अहम मान रहे हैं। फिलहाल मिल्कीपुर में मामला कांटे का दिख रहा है। 

अधिकांश लोग भाजपा और सपा के बीच ही मुख्य मुकाबला मानते हैं चाय की दुकान पर घंटो तक लोग इसी उधेड़बुन में जुटे रहे कि आखिर इस बार मैदान कौन मार रहा है कोटिया निवासी अमर बहादुर सिंह बोले कि राम मंदिर तथा मोदी योगी सरकार की योजना का चुनाव मे खूब फायदा मिला है भाजपा का ही प्रत्याशी जीतेगा। इतने में टंडवा निवासी गिरीश सिंह बोल उठे की भाजपा तो सड़कों पर ही दिखाई दी है गांव में साइकिल खूब चली है इतने मे कोटिया निवासी योगेंद्र प्रताप सिंह ने उनकी हां में हां मिलाते हुए कहा की कर्मचारियों की पुरानी पेंशन, छुट्टा जानवर, शिक्षा मित्रों की नौकरी जैसे मुद्दे भाजपा पर भारी पड़ रहे हैं, मिल्कीपुर में इस बार साइकिल की जीत सुनिश्चित है। भीखी का पुरवा निवासी ओंकार ने कहा कि मिल्कीपुर मे गड्ढायुक्त सड़कें भी बड़ा मुद्दा बनकर उभरी है इसका चुनाव मे प्रभाव पड़ना तय है। एकमात्र स्थानीय प्रत्याशी कांग्रेस पार्टी ने उतारा है जिससे कांग्रेस को भी फायदा मिल सकता है। अटेसर गांव निवासी दल बहादुर पांडे बोले कि मिल्कीपुर में जीत हार का अंतर बहुत नजदीकी होगा इस बार बड़े अंतर की जीत नहीं दिख रही है। मुख्य मुकाबला तो भाजपा और सपा में ही है लेकिन बसपा को भी कम आंकना ठीक नहीं है। घंटों चली चर्चा में सभी अपने-अपने प्रत्याशी की जीत का दावा करते रहे।

रिपोर्टर

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