कालाजार प्रभावित इलाकों में लोग घर की दीवारों की दरारों को अनिवार्य रूप से भरें : डॉ. शैलेंद्र

घरों के अंदरूनी दीवारों की दरार बालू मक्खी के छिपने व प्रजनन करने के लिए अनुकूल स्थान

- कालाजार से बचाव के लिए अब लोगों को होना होगा जागरूक


बक्सर ।। कालाजार उन्मूलन के लिए जिले के प्रभावित इलाकों में निरंतर अभियान चलाए जाते रहते हैं। प्रभावित इलाकों को चिह्नित करते हुए साल में दो बार सभी घरों में सिंथेटिक पायरेथ्रोइड (एसपी) पाउडर का छिड़काव किया जाता है। ताकि, कालाजार के वाहक बालू मक्खी को मारा जा सके। लेकिन, कालाजार को जड़ से मिटाने के लिए केवल एसपी पाउडर का छिड़काव ही काफी नहीं है। इसके लिए लोगों को भी जागरूक होना होगा। कई बार छिड़काव के दौरान अधिकारियों ने भ्रमण के दौरान यह पाया कि प्रभावित इलाकों में ज्यादातर मिट्‌टी या पक्के मकानों की दीवारों पर दरार रहती है। जिसके कारण छिड़काव का पूरा फायदा उनको नहीं मिल पाता है। दीवारों की दरारें बालू मक्खी के छिपने व प्रजनन करने के लिए अनुकूल स्थान है। जहां दवाओं का असर काफी कम होता है। जिसके कारण ऐसे इलाकों में बार-बार कालाजार के मरीजों की पुष्टि होती है। इसलिए लोगों को चाहिए कि वे अपने घरों की दीवारों पर कहीं भी दरार न रहने दें। उसे मिट्‌टी या प्लास्टर से अच्छे से भर दें।

बालू मक्खी कम रोशनी और नमी वाले स्थानाें पर रहती है :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया, कई कालाजार मरीजों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के आवास भी मिले हैं। लेकिन, उनके घरों में प्लास्टर नहीं होने के कारण बालू मक्खी के छिपने की संभावना अधिक रहती है। अमूमन बालू मक्खी कम रोशनी और नमी वाले स्थानाें पर रहती है। जैसे घरों की दीवारों की दरारों, चूहों के बिल तथा ऐसे मिट्टी के टीले जहां ज्यादा जैविक तत्व और उच्च भूमिगत जल स्तर हो। ऐसे स्थान उनको पनपने में लिए बेहतर माहौल देते हैं। उन्होंने बताया यह मक्खी उड़ने में कमजोर जीव है, जो केवल जमीन से 6 फुट की ऊंचाई तक ही फुदक सकती है। मादा बालू मक्खी ऐसे स्थानों पर अंडे देती है जो छायादार, नम तथा जैविक पदार्थों से परिपूर्ण हो। जिन घरों में बालू मक्खियां पाई जाती हैं, उन घरों में कालाजार के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

लक्षण दिखने पर जांच कराना आवश्यक :

डॉ. शैलेन्द्र कुमार ने बताया  कालाजार लिशमेनिया डोनी नामक रोगाणु के कारण होता है। जो बालू मक्खी काटने से फैलता है। साथ ही यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने पर अविलंब जांच कराना अति आवश्यक है। सदर अस्पताल में इलाज का समुचित प्रबंध है। यहां मरीजों का एक ही दिन में इलाज कर दिया जाता है। कालाजार की मक्खी नमी व अंधेरे वाले स्थान पर ज्यादा फैलती है। 

मरीज के साथ साथ आशा कर्मी को दी जाती है राशि : 

कालाजार से पीड़ित मरीज को 7100  रुपये श्रम क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है। इसके अलावा प्रशिक्षित आशा के द्वारा मरीजों को चिह्नित करने व नजदीक के पीएचसी तक लाने एवं उनका ठीक होने तक ख्याल रखने पर प्रति मरीज 600 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। यह राशि भारत सरकार एवं राज्य सरकार की तरफ से दी जाती है। इसमें मरीजों के लिए 6600 रुपये और आशा के लिए 100 रुपये की राशि मुख्यमंत्री कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत दी जाती है। वहीं, प्रति मरीज एवं आशा को 500 रुपये भारत सरकार की तरफ से दिया जाता है।

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