कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा प्रगतिशील किसानों के प्रक्षेत्र पर भ्रमण -डॉ संजीत कुमार
- राजेश कुमार शर्मा, उत्तर प्रदेश विशेष संवाददाता
- Sep 21, 2022
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वाराणसी ।। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या के माननीय कुलपति डॉ बिजेन्द्र सिंह जी के संरक्षण एवं निदेशक प्रसार प्रो ए.पी. राव जी कुशल मार्गदर्शन में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, अमिहित, जौनपुर-2 के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ संजीत कुमार की अध्यक्षता में ग्राम नाउपुर एवं निहालापुर, विकासखंड केराकत के प्रगतिशील किसानों; चंद्रभान सिंह, मुन्नीलाल राजभर, विनोद सिंह, दिनेश कुमार, सकिरा, अख्तरु निशा, जमिद्दीन निशा, दुर्गावती सोनकर, गोविंदा सोनकर आदि के प्रक्षेत्र पर भ्रमण किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के निर्देशानुसार नई-नई तकनीकी का प्रयोग कर वैज्ञानिक खेती, जैविक एवं प्राकृतिक खेती से अधिक लाभ प्राप्त कर रहे हैं । केन्द्राध्यक्ष डॉ संजीत कुमार ने कहा कि किसान भाई एकीकृत कृषि प्रणाली के जरिये, फसलोत्पादन के साथ-साथ पशुपालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, मशरूम उत्पादन, फलदार वृक्षों को उगाकर एवं कृषि उप-उत्पादों का उचित प्रबन्धन करके वर्षभर सतत आय प्राप्त करते हुए अपनी शुद्व आय कई गुणा बढ़ा सकते है। पादप रोग विशेषज्ञ डॉ संदीप कुमार ने फसलों एवं पेड़ पौधों में लगने वाले कीट एवं रोग को जैविक विधि से कैसे प्रबंधन किया जा सके उसके बारे में विस्तृत जानकारी दी। मृदा विज्ञान विशेषज्ञ डॉ दिनेश कुमार ने वर्मी कंपोस्ट, कंपोस्ट, जीवामृत एवं बीजामृत के बनाने एवं प्रयोग विधि के बारे में जानकारी दें जिसके प्रयोग से कम लागत में अधिक उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसान भाई मिट्टी की जांच अवश्य कराये जिससे फ़सलो की आवश्यकतानुसार संतुलित मात्रा में खाद एव उर्वरको का इस्तेमाल किया जा सके।कृषि वानिकी विशेषज्ञ डॉ अनिल कुमार ने बताया कि जैविक एवं प्राकृतिक विधि अपनाकर सब्जियों की अच्छी खेती करके अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है तथा रबी मौसम में लगने वाले सब्जियों की नर्सरी तैयारी एवं उन्नतशील प्रजातियों के बारे में बताया। उन्होंने मचान विधि से करेला, लौकी, नेनुआ, आदि की खेती करने की सलाह दी। शस्य विज्ञान विशेषज्ञ डॉ संजय कुमार ने खरीफ फसलों; धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, उर्द, मूँग, लोबिया आदि में खरपतवार नियंत्रण के लिए जैविक नियंत्रण में आंतरिक विधि अपनाकर जैविक एवं प्राकृतिक खेती प्रणाली से अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है। इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में प्रदीप यादव, विवेक सिंह आदि का सहयोग रहा।
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