किसान भाई अवश्य करें धान की फसल में तना छेदक कीट प्रबन्धन: डॉ संजीत कुमार
- राजेश कुमार शर्मा, उत्तर प्रदेश विशेष संवाददाता
- Sep 24, 2022
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जौनपुर ।। आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवम प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र अमिहित जौनपुर 2-के वैज्ञानिकों द्वारा प्रक्षेत्र भ्रमण जिसमें केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवम अध्यक संजीत कुमार ने गांव अकबरपुर, सुल्तानपुर, छितौना, अमिहित आदि गांवो में भ्रमण के दौरान पाया कि धान की फसल मे फसल में तना छेदक कीट से नुकसान होने की आशंका है। डॉ संजीत कुमार ने कहा किसान भाईयों, तना छेदक कीट ऐसा है, जब वह हमारी धान की फसल में लग जाता है, तो हमारी धान की फसल को बिल्कुल बर्बाद कर सकता है। इसलिए तना छेदक कीट के लिए हमको खेत की भी 15 से 20 दिन के अंतर पर निगरानी जरूर करते रहना चाहिए और यदि हमारे खेत में एक या दो पौधों में तना छेदक लगा हुआ दिखाई पड़ रहा है, तो हम को तत्काल उसकी रोकथाम के लिए दवाओं का प्रयोग करना चाहिए।
डॉ संजीत कुमार बताया कि किसान भाई धान में तना छेदक कीट के कुछ मुख्य लक्षण है; तना छेदक के लक्षण के तना छेदक पौधे में लग जाता है, वह कितने को अंदर से खाता रहता उसके बाद आपको तना जो है, सूखा हुआ दिखाई पड़ता है, उसके बाद पीला दिखाई पड़ने लगेगा। फिर कुछ दिन बाद पौधा लाल कलर का हो जाएगा और उसके बाद पूरा सूख जाता है। तो इस प्रकार से हम तना छेदक कीट को पहचान सकते हैं। इसके अंदर जो कीड़ा लगता है वह चावल के दाने जैसा बिल्कुल सफेद होता है। इसका मुंह काला या बुरा होता है।
धान में तना छेदक नियंत्रण
तना छेदक कीट को हम आसानी से कुछ दवाओं का प्रयोग करके नियंत्रण कर सकते हैं। लेकिन दोस्तों आपको ध्यान रखना है अगर तना छेदक के साथ-साथ धान में पत्ती लपेटक कीट भी लगा है, तो आपको किसी अलग से दवा की मात्रा देने की जरूरत नहीं है, यानी जो दवा आप तना छेदक के लिए प्रयोग करेंगे वही दवा आपके पत्ता लपेटक कीट में भी काम करते हैं। लेकिन कुछ दवाएं ऐसे हैं जो केवल तना छेदक रोक के लिए ही काम करेंगे और कुछ दवाएं दोनों लोगों पर आसानी से काम करते हैं।
इसलिए किसान किसान भाईयों, यदि आप के खेत में केवल तना छेदक कीट लगा है तो आप उन दवाओं का भी प्रयोग कर सकते हैं जो केवल तना छेदक में कार्य करती हैं। लेकिन यह आपके खेत में तना छेदक के साथ पत्ता लपेटक कीट लगा हुआ है तब आपको उन दवाओं का प्रयोग करना चाहिए जो दोनों में अच्छी तरह से काम करते हैं। डॉ संजीत कुमार ने बताया कि किसान भाइयों आपको आप इन दवाओं का प्रयोग करके आसानी से इसका फायदा ले सकते हैं।
अ) अगर धान में केवल तना छेदक लगा है तो आप क्लोरेंट्रानिलिप्रोल (18.5% एससी) की मात्रा प्रयोग कर दें, जो प्रत्येक एक एकड़ के लिए पर्याप्त है और इसका छिड़काव आप करके तना छेदक पर अच्छी तरह नियंत्रित कर सकते हैं।
ब) इसके अतिरिक्त अगर धान में तना छेदक के साथ-साथ आपके खेत में पत्ती लपेटक कीट भी लगा है, तो आप फिप्रोनिल 5% एससी की 500 मिली लीटर मात्रा को 200-250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से प्रयोग कर सकते हैं।
स) इसके अलावा फिप्रोनिल 80% WG की 20 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ में प्रयोग कर सकते हैं। ये तना छेदक और पत्ती लपेटक दोनों कीट पर आसानी से नियंत्रण कर लेती है।
द) इसके अतिरिक्त फ्लुबेंडियामाइड 39.35% की 20 मिलीलीटर मात्रा को 200-250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव तना छेदक कीट के लिए कर सकते हैं और यह पत्ती लपेटक पर भी आसानी से नियंत्रण कर लेता है।
य) इसके अतिरिक्त कैलडन 50 एसपी की 400 ग्राम मात्रा मात्रा को 200-250 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर दें, इससे आप तना छेदक और पत्ती लपेटा कीट पर आसानी से नियंत्रण कर लेंगे।
किसान भाईयों, यदि कीट ज्यादा लगा है तो आपको दोबारा छिड़काव करना पड़ सकता है यदि शुरुआती लक्षण में आपको पर नियंत्रण देखने को मिल जाता तो दुबारा छिड़काव करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी l
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