जेल में बंद कैदियों की होगी टीबी की जांच

•विश्व यक्ष्मा दिवस पर राज्य के सभी कारागारों में होगा जागरूकता कार्यक्रम 

•अपर निदेशक-सह-राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी यक्ष्मा ने पत्र जारी कर दिए निर्देश 

आरा ।। देश में हर साल लगभग 5.24 लाख लोग टीबी के कारण काल के गर्भ में समा जाते हैं. यह आंकड़ा दुनिया के अन्य देशों से अधिक है. जेल में रह रहे बंदियों में सामान्य लोगों की अपेक्षा टीबी होने का खतरा अधिक होता है. इसे संज्ञान में रखते हुए राज्य में विश्व यक्ष्मा दिवस के अवसर पर जिले के सभी कारागारों में टीबी संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा. इस बाबत अपर निदेशक-सह-राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी यक्ष्मा, डॉ. बाल कृष्ण मिश्र ने करा महानिदेशन, गृह विभाग, बिहार सरकार को पत्र जारी कर विश्व यक्ष्मा दिवस राज्य के सभी कारागारों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की बात कही है. 

जेल में बंद कैदियों को माना जायेगा “प्रायोरिटी पापुलेशन”:

जारी पत्र में बताया गया है कि अपर सचिव एवं मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देशानुसार जेल में बंद बंदियों को “प्रायोरिटी पापुलेशन” मानते हुए निरंतर टीबी की पहचान, जांच एवं उपचार की निरंतरता सुनिश्चित की जाये. विश्व यक्ष्मा दिवस 24 मार्च, 2023 को जिले के सभी जेलों में बंदियों एवं कर्मियों के बीच टीबी के बारे में व्यापक जानकारी के लिए जागरूकता कार्यक्रम एवं 25 मार्च से 13 अप्रैल के बीच जिला यक्ष्मा केंद्र के कर्मियों के माध्यम से लक्षणों के आधार पर स्क्रीनिंग कर टीबी जांच एवं उपचार सुनिश्चित किया जाना है. 

टीबी का रोगाणु है घातक:

यूं तो बीमारियां लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता के आधार पर शरीर पर असर दिखाती है. लेकिन, ज्यादातर बीमारियां अनदेखी के कारण भयानक रूप ले लेती हैं. इन्हीं बीमारियों में से एक है ट्यूबरक्लोसिस (टीबी). जो हवा में तैरते ड्रॉपलेट्स के माध्यम से एक मरीज से दूसरे मरीज में संक्रमित होता है. यह जीवाणु से फैलता है, मुख्य रूप से माइक्रोबैकटीरियम ट्यूबरक्लोसिस से. यह आम तौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है, किंतु यह केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र, लिम्फतंत्र, संचार तंत्र, मूत्रजनन तंत्र, हड्डियां, जोड़ यहां तक की त्वचा को भी प्रभावित करता है. यदि इसका इलाज नहीं मिले तो आधे से अधिक रोगी काल का ग्रास बन जाते हैं. डब्लूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व की एक तिहाई आदमी के शरीर में इस रोग का संक्रमण पाया जाता है. प्रति एक सेकंड में 1 नया संक्रमण भी होता है. किंतु प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति इस इस रोग से ग्रसित नहीं होता है. इसके छिपे संक्रमण से ग्रस्त 10 में से 1 को रोग शुरू हो जाता है.

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