जिले के कालाजार प्रभावित इलाकों के घरों में छह फीट तक दवाओं का छिड़काव जरूरी : एसीएमओ

- जिले में आईआरएस का पहला चरण शुरू, प्रभावित गांवों के हर घर में होगा दवाओं का छिड़काव

- छिड़काव की निगरानी के लिए गठित की गई टीम, पूर्व के मरीजों का होगा फॉलोअप


आरा ।। राज्य में कालाजार उन्मूलन को लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग काफी गंभीर है। इसे सुनिश्चित करने को लेकर हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। जिसके तहत भोजपुर जिले में इनडोर रेसिडेंशियल स्प्रे (आईआरएस) शुरू किया गया। इस क्रम में 15 मार्च से लेकर 20 मई तक जिले के चिह्नित कालाजार प्रभावित गांवों में सिंथेटिक पैराथायराइड (एसपी) पाउडर का छिड़काव शुरू किया गया है। जिसके तहत जिले के चार प्रखंडों के पांच गांव में छिड़काव टीम द्वारा घर-घर जाकर एसपी पाउडर से छिड़काव किया जाएगा। अभियान की सफलता को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने  सारी तैयारियां पूरी कर रखी हैं । वहीं, गांवों में छिड़काव के दौरान किसी प्रकार की कोताही न बरती जाए, इसके लिए निगरानी टीम का गठन किया गया हे। जो घरों में हो रहे छिड़काव की निगरानी के साथ पूर्व के मरीजों का फॉलोअप भी कर रहा है। 


जिले के पांच गांव में होगा छिड़काव :

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह डीएमओ डॉ. केएन सिन्हा ने बताया कि आईआरएस के तहत जगदीशपुर प्रखंड के सिअरूआं, आरा सदर प्रखंड के धरहरा स्थित वार्ड नंबर 35 व जमीरा, बड़हरा प्रखंड के पूर्वी बबुरा तथा शाहपुर में पंचखोरी डेरा गांव में छिड़काव होने को है। आईआरएस के लिए संबंधित प्रखंडों से माइक्रोप्लान ले लिया गया था। प्रखंडों के साथ-साथ जिलास्तर पर भी एक माइक्रोप्लान तैयार किया गया। जिसके एक्शन प्लान के अनुसार तय मियाद में छिड़काव का कार्य पूरा किया जाएगा। उन्होंने बताया, कालाजार की वाहक बालू मक्खी को खत्म करने तथा कालाजार के प्रसार को कम करने के लिए आईआरएस किया जाता है। यह छिड़काव घर के अंदर दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक होता है। कालाजार बीमारी परजीवी बालू मक्खी के जरिये फैलती है जो कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है।


कालाजार से बचाव के लिए दी जा रही जानकारी :

केयर इंडिया के वीएल डीपीओ चंदन प्रसाद ने बताया, छिड़काव के दौरान एक भी घर छूटे नहीं, इस बात का विशेष ख्याल रखा जा रहा है। जिसको लेकर छिड़काव टीम को भी आवश्यक और जरूरी निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके अलावा छिड़काव अभियान के दौरान सामुदायिक स्तर पर लोगों को कालाजार से बचाव के लिए आवश्यक जानकारी भी दी जा रही है। प्रभावित गांवों में आईआरएस की शुरुआत के बाद ग्रामीणों को कालाजार के कारण, लक्षण, बचाव एवं इसके उपचार की विस्तृत जानकारी दी गई। ताकि, भविष्य में किसी में यह लक्षण दिखे, तो वे आशा कार्यकर्ता या पीएचसी के कर्मियों को इसकी सूचना दें। साथ ही, छिड़काव के दौरान किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, इसकी भी जानकारी दी गई।

सरकार कालाजार के मरीज को देती है 7100 रुपये :

कालाजार मरीज को नि:शुल्क इलाज के साथ राशि देने का भी प्रावधान है। जिसमें मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के अंतर्गत कालाजार मरीजों को इलाज के बाद 6600 रुपए एवं भारत सरकार की तरफ से 500 रुपए की राशि दी जाती है। पीकेडीएल मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपए श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाती है। वहीं, आशा, आगनबाड़ी एवं कालाजार इन्फार्मर द्वारा रेफर किये गये संभावित कालाजार मरीजों में जांचोपरांत कालाजार पॉजिटिव जाने की स्थिति में निर्धारित प्रोत्साहन राशि 500 रुपए के अतिरिक्त डीवीबीडीसीओ की अनुशंसा पर केएमआरसी द्वारा 1000 रुपए की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

कालाजार के लक्षण :

- रूक-रूक कर या तेजी के साथ बुखार आना

- वजन में लगातार कमी होना

- दुर्बलता

- मक्खी के काटे हुए जगह पर घाव होना


छिड़काव के दौरान इन बातों का रखें ख्याल :

- छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद व दरार बंद कर दें

- सभी कमरों, रसोई व गोहाल के अंदरूनी दीवारों पर छह फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं

- छिड़काव के पूर्व भोजन सामग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर रख दें

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