टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में सीएचओ की भूमिका सबसे अहम: डॉ. शालिग्राम

बक्सर ।। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत जिले के सभी प्रखंडों में टीबी के नए मरीजों को चिह्नित करते हुए उनकी जांच की जा रही है। साथ ही, रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उनका निक्षय पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करते हुए इलाज शुरू किया जा रहा है। इस क्रम में जिले के सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स, एसटीएस व एसटीएलस के साथ साथ हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) को भी लगाया गया है। 13 अप्रैल तक चलने वाले एसीएफ अभियान में सीएचओ के जुड़ने से इसे गति तो मिली ही है। साथ ही टीबी से ठीक होने वाले मरीजों का फॉलोअप भी हो रहा है। 

इस संबंध में जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया एसीएफ के साथ साथ फॉलोअप अभियान भी चलाया जा रहा है। जिसमें नए मरीजों की खोज के साथ टीबी से ठीक हो चुके मरीजों का फॉलोअप किया जा रहा है। जिससे यह पता चल सके कि टीबी से उबर चुके मरीज या उनके परिजनों में कहीं टीबी के लक्षण नहीं है। 

टीबी उन्मूलन में सीएचओ की भूमिका सबसे अहम : 

डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया, सरकार व विभाग की ओर से जारी गाइड लाइन्स के अनुसार एसीएफ के तहत विशेष रुप से शहरी और ग्रामीण मलिन बस्ती, खदान क्षेत्र, प्लांट क्षेत्र, अनाथ आश्रम एवं वृद्ध आश्रम, हाई रिस्क क्षेत्र, जेल (महिला एवं पुरुष ) गिट्टी खदान क्षेत्र, राईस मिल क्षेत्र आदि को चिह्नित करते हुए मरीजों की खोज की जा रही है। साथ ही, पंचायतों में आशा कार्यकर्ताओं के स्तर से मरीजों की पहचान भी की जा रही है। इन सबके साथ सीएचओ को भी टीबी के नए मरीजों की खोज की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने बताया कि सरकार की मंशा एचडब्ल्यूसी स्तर पर मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं को वृहद् करना है। जिसके लिए टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में सीएचओ की भूमिका तय की गई है। सीएचओ न केवल टीबी के मरीजों की पहचान कर उनकी जांच कराएंगे, बल्कि इलाज शुरू होने के साथ उनका नियमित फॉलोअप करते हुए उचित परामर्श भी देंगे। जिससे मरीजों में जागरूकता आएगी।

पंजीकरण के साथ इलाज पर जोर : 

डॉ. शालिग्राम पांडेय ने बताया, टीबी के एसीएफ अभियान के दौरान लोगों को टीबी के लक्षण पहचानने के साथ साथ उन्हें टीबी की जांच, इलाज आदि की भी जानकारी दी जा रही है। लोगों को यह भी बताया जा रहा है कि अगर उनके यहां या आसपास टीबी के लक्षण वाले मरीज मिलेंगे, तो उनकी जांच कराई जाएगी। जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव आने की स्थिति में उनका नाम निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत कराएं। ताकि उन्हें बेहतर दवाएं नि:शुल्क मिलें और उनका इलाज करने के साथ ही उन्हें निक्षय पोषण पोषण योजना के तहत 500 रुपए मासिक भत्ता दिलायी जा सके। उन्होंने बताया कि दो सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी का आना। खांसी के साथ बलगम और बलगम के साथ खून आना। वजन घटना। बुखार, सीने में दर्द, शाम के समय हल्का बुखार, रात में बेवजह पसीना आना। कम भूख लगने जैसी जैसी शिकायत है तो एक बार अपनी जांच जरुर करा लें। समय पर इलाज हो जाने से टीबी ठीक हो सकता है।

रिपोर्टर

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