एनआईआरएफ रैंकिंगतथा नैक एक्रीडिटेशन के लिए हुई कार्यशाला

एनआईआरएफ रैंकिंग, नैक हेतु हो सार्थक प्रयासः प्रो बलराज चौहान

शोध की गुणवत्ता में करें सुधारःकुलपति


दिव्या ने दिए नैक के सातों क्राइटेरिया पर टिप्स 




जौनपुर । वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर में उत्तर प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग तथा सेंटर फॉररिसर्च इन स्कीम्स एंड पॉलिसिज (क्रिस्प) के मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग केअंतर्गत वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय तथा क्रिस्प के संयुक्त तत्वावधानमें एनआईआरएफ रैंकिंग तथा नैक एक्रीडिटेशन विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन बुधवारको कुलपति सभागार में किया गया । कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालय से संबद्ध पूर्व चयनित 28 महाविद्यालयों के प्राचार्य एवं उनके प्रतिनिधि के साथ एनआईआरएफ रैंकिंग तथा नैक एक्रीडिटेशन में आवेदन की प्रक्रिया तथा उच्च रैंकिंग प्राप्तकरने हेतु विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करना था । इसके साथ साथ प्रोजेक्ट फॉर एक्सीलेंस इन हायर लर्निंग एंड एजुकेशन इन यूपी (पीइएचएलइ – यूपी) में निहितउद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु विमर्श किया गया ।कार्यक्रम के शुरुआत में कुलपति प्रो.वंदना सिंह ने कहा कि आज का युग प्रतिस्पर्धा का युग है जिसमें शिक्षा का स्तर, शोध की गुणवत्ता केअलावा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मानकों को भी पूरा करना है। कट पेस्टवाले शोध बंद होना चाहिए । एक अच्छे महाविद्यालय या विश्वविद्यालय में न केवलदुनिया भर के छात्र- छात्राएं प्रवेश लेते है अपितु हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था मजबूतहोती है । उन्होंने समस्त महाविद्यालयों से अपील की कि वे आगामी एनआईआरएफ रैंकिंगतथा नैक एक्रीडिटेशन के लिए अपने महाविद्यालय को पंजीकृत करें तथा अच्छी रेटिंग वरैंकिंग प्राप्त करें ।कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता प्रोबलराज चौहान, स्टेट लीड,  क्रिस्प ने कहा किऊप्र के आठ हज़ार महाविद्यालयों में किसी भी महाविद्यालय को एनआईआरएफ की रैंकिंगप्राप्त नहीं हुई है ,वहीँ दूसरी तरफ विश्वविद्यालय से सबद्ध पांच महाविद्यालयोंमें इन्क्यूबेशन केंद्र बने है पर गतिविधि नहीं के बराबर है । ऐसे में यह अत्यधिकजरूरी है कि समस्त महाविद्यालयों को एनआईआरएफ रैंकिंग तथा नैक अक्रीडीटेशन प्राप्तकरने हेतु सार्थक प्रयास करना चाहिए जिसके लिए पीइएचएलइ – यूपी की योजनाविकसित की गयी है ।तत्पश्चात क्रिस्प संस्था से आयेराहुल ने एनआईआरएफ के विभिन्न पैरामीटर पर विस्तार से बताया । उन्होंने एनआईआरएफ तथा नैक का अंतर समझाया तथा पुरातन छात्र से संपर्क, शिक्षक छात्र अनुपात, शोध प्रकाशन वप्लेसमेंट की दिशा में ज्यादा काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।इसके बाद क्रिस्प संस्था से आयीं दिव्या ने नैक के सातों क्राइटेरिया पर उपस्थित श्रोताओं के साथ चर्चा की तथा इसकी आवश्यकता एवं उपयोगिता को विस्तार से बताया। उन्होंने यह भी बताया कि प्रत्येकमहाविद्यालय के अपनी एक वेबसाइट होनी चाहिए । इससे पहले आईक्यूएसी समन्वयक प्रो.मानस पांडेय ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन एनआईआरएफ के नोडल अधिकारी प्रो. रामनारायण ने किया ।इस मौके पर विश्वविद्यालय से संबद्ध 28 महाविद्यालयों के प्राचार्य एवं उनके प्रतिनिधि गण उपस्थित थे। इस अवसर पर कुलसचिव महेंद्र कुमार, प्रोअजय प्रताप सिंह, प्रो अविनाश पाथर्डीकर, प्रो रजनीश भास्कर, डॉ आशुतोष कुमारसिंह, डॉ गिरधर मिश्र,डॉ धर्मेन्द्र सिंह, प्रो सुधेश सिंह, प्रो जय कुमारमिश्रा, प्रो नूर तलत,समेत सुशील कुमार, पंकज, रोशन, श्वेता आदि उपस्थितरहे।

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