भिवंडी महानगर पालिका में तबादलों का खेल !

कर्मचारियों की बदली बनी प्रशासनिक नासूर

भिवंडी। भिवंडी निज़ामपुर शहर महानगर पालिका में प्रशासक राज के तहत प्रशासनिक अनियमितताओं का एक नया दौर शुरू हो गया है। राज्य सरकार द्वारा वित्त विभाग के सहायक आयुक्त अजय वैद्य को पालिका का प्रशासक नियुक्त किए जाने के बाद से ही तबादलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर पांच महीने पर सहायक आयुक्तों की अदला-बदली कर उन्हें दूसरे विभागों में भेज दिया जाता है। जबकि उनके स्थान पर अन्य कर्मचारियों को प्रभारी अधिकारी के रूप में नियुक्त कर दी जाती है। 

ताबड़तोड़ तबादलों से बढ़ी भ्रष्टाचार की आशंका: 

पालिका में तबादलों की इस बेतरतीब प्रक्रिया से कर्मचारियों में असंतोष फैल रहा है। कुछ वरिष्ठ क्लर्कों को कई बार बदली कर प्रभारी उपायुक्त, सहायक आयुक्त व विभाग प्रमुख बना दिया गया है,जबकि‌ चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को दूसरे विभागों में अधिकारी के पद पर बैठा दिया गया है। सूत्रों की मानें तो इस तबादला प्रक्रिया के पीछे भारी आर्थिक लेन-देन हो रहा है। जिन कर्मचारियों ने बड़ी रकम अदा की, उन्हें मलाईदार विभाग सौंपा दिया जाता है।

तबादलों के पीछे भ्रष्टाचार की मोटी रकम:

पालिका के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, अधिकारियों की बदली और उनकी कमाई के लालच के लिए कुछ भ्रष्ट अधिकारियों को खुली छूट दी गई है। यह अधिकारी कर्मचारियों को तबादले और प्रभारी पदों का लालच देकर उनसे मोटी रकम वसूल रहे है। इस खेल में लाखों रुपये का लेन-देन हो रहा है,जिसकी वजह से भ्रष्टाचार ने पालिका प्रशासन को अंदर से खोखला कर दिया है। 

क्लर्कों और इंजीनियरों के तबादले में भी गड़बड़ी:

कुछ दिन पहले वसूली क्लर्कों के तबादले हुए थे, लेकिन कई क्लर्क रिश्वत देकर फिर से अपने पदों पर वापस आ गए। इसी तरह, इंजीनियरों के तबादलों में भी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की खबरें सामने आ रही है। कई इंजीनियर मोटी रकम देकर अपनी पसंद के पद हथियाने में कामयाब हुए है। इन तबादलों के पीछे चल रहे आर्थिक खेल ने पालिका की साख को गहरा धक्का पहुंचाया है।

प्रशासक और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत:

प्रशासक अजय वैद्य के कार्यकाल के दौरान,कर्मचारियों की बदली के मामलों में पारदर्शिता की कमी साफ नजर आ रही है। स्थानीय लोगों और कर्मचारियों का मानना है कि इस तबादला प्रक्रिया के पीछे कुछ भ्रष्ट अधिकारी,पूर्व नगरसेवक प्रशासक के करीबी बनकर काम कर रहे है। जो कर्मचारियों से पैसों की उगाही में शामिल है। इससे न सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा रही है,बल्कि कर्मचारियों के बीच भी अविश्वास का माहौल बन गया है।

तबादलों की जांच की मांग :

पालिका के भीतर चल रहे इस बदली प्रकरण में भ्रष्टाचार की गंभीरता को देखते हुए अब उच्च स्तरीय जांच की मांग उठने लगी है। कर्मचारियों का कहना है कि इस भ्रष्टाचार के चलते योग्य और ईमानदार कर्मचारियों को दरकिनार कर दिया जाता है, जबकि धनबल से पद हासिल करने वाले लोग महत्वपूर्ण विभागों पर काबिज हो जाते है। यह स्थिति न केवल कर्मचारियों के मनोबल को गिरा रही है,बल्कि पूरे प्रशासनिक तंत्र को भी प्रभावित कर रही है।

भिवंडी महानगर पालिका में चल रही इस बदली प्रक्रिया और भ्रष्टाचार पर अगर जल्द ही अंकुश नहीं लगाया गया, तो इसका असर शहर की समूची विकास परियोजनाओं और नागरिक सुविधाओं पर भी पड़ सकता है। क्या पालिका प्रशासन इस गंभीर स्थिति पर कोई ठोस कदम उठाएगा या यह भ्रष्टाचार का खेल ऐसे ही जारी रहेगा ?

रिपोर्टर

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