बी.के. बिड़ला महाविद्यालय, कल्याण में अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद एवं हिन्दी अधिवेशन संपन्न

कल्याण:- बी.के. बिड़ला महाविद्यालय, कल्याण द्वारा भारतीय हिन्दी परिषद्  के ४४ वें राष्ट्रीय अधिवेशन और उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ एवं सेंचुरी रेयान, शहाड के संयुक्त तत्त्वावधान में ‘२१ वीं सदी की कथेतर गद्य विधाएँ : दशा, दिशा और संभावनाएँ’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया | इस आयोजन का उदघाटन प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मभूषण प्रो. एम.एम. शर्मा, मुंबई, भारतीय हिन्दी परिषद् के  उपसभापति प्रो. पवन अग्रवाल, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. सदानंद गुप्त, डॉ. नरेश चन्द्र, बी. के. बिड़ला महाविद्यालय कल्याण के निदेशक एवं पूर्व प्र.कुलगुरु, मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई, स्थानीय विधायक श्री नरेंद्र पवार की उपस्थिति में संपन्न हुआ | प्राचार्य डॉ.अविनाश पाटील ने सभी अतिथियों का स्वागत किया | इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. नरेश चन्द्र ने आशा व्यक्त किया कि देश के विविध राज्यों से आये हुआ विद्वानों द्वारा जो चिंतन मनन इस संगोष्ठी में किया जायेगा उससे निश्चित ही हिन्दी की विधाओं को एक नई दिशा मिलेगी | प्रो. वाई.पी. सिंह द्वारा परिषद् का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया | उद्घाटनकर्ता के रूप में उपस्थित प्रो. सदानंद गुप्ता ने हिन्दी की कथेतर गद्य विधाओं के वर्तमान सन्दर्भों पर सारगर्भित टिप्पणी प्रस्तुत की | इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. पवन अग्रवाल ने की और डॉ. नरेंद्र मिश्र ने इसका सञ्चालन किया | कार्यक्रम के संयोजक डॉ. श्यामसुंदर पाण्डेय ने सत्र के सभी विद्वानों के प्रति आभार व्यक्त किया | इसी सत्र में देश के अलग – अलग क्षेत्रों से पधारे हुए नामचीन विद्वानों को सम्मानित भी किया गया | सम्मान प्राप्त करने वाले विद्वानों में पद्मभूषण प्रो. एम. एम. शर्मा, मुंबई , डॉ. मनोज कुमार पटेरिया , निदेशक, सी.एस.आई.आर.- निस्केयर, नई दिल्ली, प्रो. जयप्रकाश, चंडीगढ़, कल्याण शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक और लेखक डॉ. आर.आर. उपाध्याय,  प्रो.रामेश्वर मिश्र, शान्तिनिकेतन, प्रो.योगेन्द्र प्रताप सिंह, प्रयागराज, प्रसिद्ध लेखिका डॉ.सूर्यबाला, प्रसिद्ध लेखक डॉ.दामोदर खड़से, और डॉ. वसुधा सहस्रबुद्धे का नाम शामिल था |


इसके बाद यह कार्यक्रम विधाओं के आधार पर अलग-अलग चार सत्रों में विभाजित हो गया | सभी सत्रों में अलग-अलग विधाओं पर चर्चा हुई | जिनमे अध्यक्ष के रूप में प्रो. रामजी तिवारी, प्रो. हरिशंकर मिश्र, प्रो. जयप्रकाश, डॉ. दामोदर खडसे, डॉ.वाई.पी. सिंह, डॉ.लक्ष्मीनारायण भारद्वाज, डॉ.सुरेश ऋतुपर्ण, प्रो. निर्मला अग्रवाल, प्रो. सभापति मिश्र, प्रो. वी.वाई. ललिताम्बा, डॉ. रमेश चन्द्र त्रिपाठी, प्रो. विष्णु सरवदे आदि लोग उपस्थित थे | समापन सत्र प्रो. पवन अग्रवाल की अध्यक्षता में संपन्न हुआ | मुख्य अतिथि के रूप उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के अध्यक्ष प्रो. राजनारायण शुक्ल और प्रो.सदानंद गुप्ता उपस्थित थे | इस सत्र का सञ्चालन डॉ. नरेंद्र मिश्र द्वारा किया गया और डॉ. श्यामसुंदर पाण्डेय नें सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं महाविद्यालय की प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्री ओ.आर.चितलांगे और उपाध्यक्ष श्री सुबोध जी दवे के प्रति विशेष आभारी हूँ जिनके सहयोग यह कार्यक्रम संपन्न हो सका  | दो दिनों तक चलने वाले इस अधिवेशन एवं अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद में देश के लगभग सभी क्षेत्रों से हिन्दी एवं मराठी विद्वानों की व्यापक मात्रा में उपस्थिति रही | इन मुख्य विद्वानों में डॉ. बालकवि सुरंजे, प्रो. सतीश पाण्डेय, प्रो. संजीव दुबे, प्रो. शीतलाप्रसाद दुबे, प्रो, करुणाशंकर उपाध्याय, डॉ.मिथिलेश शर्मा, डॉ. प्रवीण बिष्ट, डॉ. उषा मिश्रा, प्रो. सुनीता साखरे और डॉ. रवीन्द्र कात्यायन आदि प्रमुख थे | इस परिसंवाद के संयोजक के अनुसार महाविद्यालय के प्राध्यापक मित्रों और विद्यार्थियों की अथक मेहनत और निरंतर प्रयास से ही यह आयोजन संभव हो सका |

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