
भिवंडी मनपा में हास्यास्पद हकीकत राजेश गोसावी ने जीवित रिटायर्ड कर्मियों को बताया मृत
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Jun 07, 2025
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"जिंदा लोग,कागज़ो पर मृत" राजेश गोसावी की कलम से उड़ा विश्वास।
सुनील धाऊ झलके,शमीम अंसारी सहित गोवर जोशी व अनंता पाटिल मृत घोषित !
भिवंडी।
भिवंडी-निज़ामपुर शहर महानगरपालिका के आस्थापना विभाग में एक गंभीर लापरवाही सामने आई है, जिसमें ज़िंदा सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों को ‘मृत’ घोषित कर दिया गया। इस चौंकाने वाली गलती के चलते कई पूर्व अधिकारियों की पेंशन रूक सकती है। जिन्हें आर्थिक संकट उठाना पड़ सकता है।
इस लापरवाही का खुलासा तब हुआ जब आरटीआई कार्यकर्त्ता रोहिदास चव्हाण ने पालिका के आस्थापना विभाग से प्रभाग समिति क्रमांक चार में 2008 से 2024 तक आऐ सहायक आयुक्त, बीट निरीक्षक और कर निरीक्षक के नामों की लिस्ट मांगी थी। तब आस्थावान प्रमुख राजेश गोसावी ने सहायक आयुक्त पद संभाल चुके सुनील धाऊ झलके, शमीम अंसारी, कर निरीक्षक गोवर पाटिल और अनंता जोशी को 'मृत' घोषित कर दिया जो आज भी जिंदा है। आस्थावान विभाग ने इन कर्मचारियों को बिना किसी वैध प्रमाण के मृत मान लिया किन्तु पेंशन वितरण प्रणाली में उनके नाम शामिल है। राजू गोसावी की इस गलती से इन अधिकारी और कर्मचारी का पेंशन प्रभावित हो सकता है बल्कि स्वास्थ्य बीमा, मेडिकल रिइम्बर्समेंट और अन्य सरकारी सुविधाएं से वंचित हो सकते हैं।
पूर्व सहायक आयुक्त शमीम अंसारी ने कहा, “हम आज भी जीवित हैं, लेकिन मनपा के कागज़ों में हमें मृत दिखा दिया गया है। इससे न सिर्फ़ हमारी गरिमा को ठेस पहुंची है, बल्कि हमें मानसिक और आर्थिक परेशानी भी झेलनी पड़ रही है।” वही सुनील धाऊ झलके ने कहा, “मैंने 30 साल की सेवा ईमानदारी से की, जब हम जीवित है किन्तु आस्थापना विभाग "मृत" घोषित कर दिया है। यह अन्याय हो रहा है। सीधे तौर पर प्रशासनिक लापरवाही है।”
इस पूरे मामले से मनपा की आस्थापना विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। संबंधित अधिकारियों ने अब राज्य सरकार और उच्च स्तर पर शिकायत दर्ज करने की तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। मनपा के सूत्रों के अनुसार, आयुक्त कार्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। आने वाले दिनों में ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है। शहर के जागरूक नागरिकों की माने तो भिवंडी मनपा का यह मामला न केवल लापरवाही का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकारी तंत्र में कैसे एक विभाग की गलती से आम आदमी को वर्षों की सेवा के बाद भी अपमान और संकट का सामना करना पड़ सकता है। यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो यह मामला आंदोलन का रूप भी ले सकता है।
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