जिले में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या कम

मिर्जापुर । लिंग परीक्षण नियन्त्रण हेतु मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में गठित पीसीपीएनडीटी (गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान तकनीक) सलाहकार समिति की बैठक में कन्याभ्रूण हत्या पर गहरी चिंता व्यक्त की गई तथा  जिले के अल्ट्रासाउंड सञ्चालक चिकित्सकों से अपील की गई कि वे कन्याभ्रूण हत्या के लिए लिंग परीक्षण से दूर रहें तथा बेटी बचाओ अभियान में लोगों को जागरूक करें ।

    शुक्रवार को CMO कार्यालय में हुई बैठक में नोडल आफिसर डिप्टी CMO डॉ गुलाबचंद ने कहा कि जिले में प्रतिहजार पुरुषों के अनुपात में महिला का अंतर पहले से कम हुआ है लेकिन अभी भी यह संख्या नौ सौ 10 है जबकि पूरे देश का अनुपात नौ सौ 23 है ।

    बैठक की अध्यक्षता महिला अस्पताल के CMS डॉ मानिकचंद ने करते हुए कहा कि लिंग परीक्षण करने वाले केंद्रों के खिलाफ कड़े प्राविधान है और विभाग उस पर कार्रवाई करता है । बैठक में अतिरिक्त CMO डॉ सुबोध कांत सिन्हा ने अल्ट्रा साउंड मशीन लगाने वाले चिकित्सा केंद्रों से मार्मिक अपील की कि वे यदि इस दिशा में संवेदनशील होंगे तो उसका सार्थक असर पड़ेगा जबकि डिप्टी CMO डॉ वी के पंकज तथा बाल रोग विशेषज्ञ डॉ एल एस सिंह ने समिति के सदस्यों के इस कथन से सहमति जताई कि लिंग परीक्षण सिर्फ इलाज के लिए ही किया जाना चाहिए । सदस्य सलिल पांडेय एवं शासकीय अधिवक्ता श्री सुनील कुमार दुबे ने ऋषियों-मुनियों के उपदेशों का उल्लेख करते हुए कहा कि शास्त्रों में बताया गया है कि गर्भस्थ शिशु देवी-देवता के रूप में है । अतः गर्भ समापन से आध्यात्मिक दोष लगता है और उसका जीवन में दुष्प्रभाव पड़ता है ।

    बैठक में जिला महिला अस्पताल एवं नरायनपुर के प्राइवेट सत्या नर्सिंग होम को अल्ट्रासाउंड मशीन लगाने के प्रस्ताव पर विचार विमर्श के बाद स्वीकृति प्रदान की गई । नोडल आफ़िसर डॉ गुलाबचंद ने बताया कि महिला अस्पताल में 2013 तक अल्ट्रासाउंड मशीन थी लेकिन रेडियोलॉजिस्ट के न होने से उसका पंजीकरण समाप्त हो गया था । वहां रेडियोलॉजिस्ट डॉ वी के पंकज की तैनाती के बाद जनहित में इसकी जरूरत हैं ताकि इलाज बेहतर हो सके ।

    बैठक में कार्यवृत्ति बी पी मिश्र ने तथा डाटा एंट्री आपरेटर सुश्री सुप्रिया मिश्र ने प्रगति आख्या से अवगत कराया ।

रिपोर्टर

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