ढोल नगाड़ों एवम मंत्रोच्चारण के साथ हुआ भगवान महावीर की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा

जमुई से जिला ब्यूरो चीफ देवेन्द्र कुमार के साथ सिकन्दरा से प्रवीण कुमार दुबे की रिपोर्ट

सिकन्दरा ।। भगवान महावीर की जन्मकल्याणक भूमि क्षत्रियकुण्ड ग्राम में जैन शाशन मूर्धन्य आचार्य रामचंद्र सुरेश्वर जी महराज के शिष्य क्षत्रियकुण्ड तीर्थोद्धारक जैनाचार्य नयबर्द्धन सुरेश्वर जी महाराज के सानिध्य में शनिवार की सुबह 7 बजे भगवान प्रभु की जीवित प्रतिमा की शाश्वत प्राण प्रतिष्ठा पूरे विधि विधान के साथ शुरू हुआ। तत्पश्चात आचार्य गुरूदेव के द्वारा मंत्रोच्चार के बीच सभी मूर्तियों का मिलान करते हुए प्राण प्रतिष्ठा की गई।वहीं महावीर की अहिंसा रूपी सन्देश को आत्मसात कर पूरे विश्व में शांति फैले ऐसी प्रार्थना की गई। शाश्वत प्राण प्रतिष्ठा के क्रम में मंगल मूर्ति पूजन कर श्रद्धालुओं ने हाथों से थापा करते हुए अखण्ड दीया का स्थापना किया।इस क्रम में प्रतिष्ठकारक परिवार निमेश भाई कंपानी एवं सीके मेहता कंपानी के नेतृत्व में एक लाख सोने एवं चांदी के चावलों का साथियां(वर्षा) किया गया।वहीं प्रतिष्ठकारक परिवार के द्वारा 21 मन का लड्डू भगवान प्रभु के श्री चरणों में अर्पित किया गया।तत्पश्चात भगवान प्रभु के जन्मकल्याणक मंदिर के तुंग शिखा पर ध्वजा लहरायी गई।वहीं आचार्य के चरणों में श्रीफल अर्पित करते हुए  गुरूपूजन किया गया। इसके साथ ही जैनाचार्य द्वारा वस्कक्षेप किया गया।सुबह 7 बजे से प्रांरभ हुई भगवान प्रभु की शाश्वत प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव पूजन 11बजकर 30 मिनट में समाप्त हुई।प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत जैनाचार्य नयबर्द्धन सूरी जी महराज के द्वारा अपने गुरु जिन शाशन मूर्धन्य आचार्य रामचंद्र सुरेश्वर जी महराज के मूर्ति की स्थापना की गई।इस मौके पर जैनाचार्य ने भगवान महावीर की अहिंसा रूपी संदेश को दोहराते हुए कहा कि चाहे वह जीव हो या मनुष्य सभी भगवान के संतान हैं। हमलोग सभी भगवान के संतान हैं। जीव हिंसा हो या मानव हिंसा दोनों हिंसा ही कहलाते हैं।उन्होंने कहा कि जो दूसरों को मारते हैं उन्हें 10 बार मरना होता है। भगवान उसे बार बार दंडित करते हैं। ऐसे हिंसात्मक प्रवृति को छोड़ अहिंसा को अपनाना ही मोक्ष मार्ग की ओर ले जाएगा।बता दें कि जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर श्रवण भगवान महावीर की जन्मकल्याणक भूमि क्षत्रियकुण्ड ग्राम जन्मस्थान में भगवान महावीर की जीवित प्रतिमा की शाश्वत प्रतिष्ठा उनके बड़े भाई नंदी वर्धन ने 2600 साल पहले कराई थी।. इसके बाद यह पहला अवसर है जब जीवित स्वामी भगवान महावीर की अपनी ही जन्म भूमि पर भव्य मंदिर में पुनर्प्रतिष्ठा की गई। इस मोके पर सूबे के मुख्य सचिव भी हेलीकॉप्टर के रास्ते भगवान महावीर के प्राण प्रतिष्ठा में भाग लेने पहुचे उनका आगमन 11,38 में हुआ उनके साथ जमुई जिला अधिकारी धर्मेंद्र कुमार साथ ही पुलिस की कमान संभाल रहे जमुई पुलिस अधीक्षक मो इमामुल हक मगनू भी शामिल थे वही पुरातत्व विभाग के रवि कुमार गुप्ता शामिल थे तथा अन्य राज्यों से आये सभी जैन श्रद्धालु मौजूद थे ।

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