जमुई में वार्षिक शिवचर्चा का किया गया भव्य आयोजन

जमुई लोकसभा ब्यूरो चीफ धीरज कुमार सिंह की रिपोर्ट

जमुई ।। नगर क्षेत्र के शाहपुर गांव स्थित बजरंगबली प्रागण में एक दिवसीय शिवचर्चा का आयोजन किया गया। शिव भक्त गुरू भाई सुखदेव साव के नेतृत्व में आयोजित शिव चर्चा में गुरू भाई  नंदलाल साव, मनोज साव, मिथलेश साव, संतोष कुमार, बलराम साव, ने जगत गुरू शिव की महिमा का बखान किया। मौके पर दर्जनों लोगों ने देवाधिदेव महादेव का शिष्य भी बने। इस एक दिवसीय शिव चर्चा में स्थानीय एवं दूसरे जिले के गुरू भाई बहनों ने अपने-अपने विचार व भजन प्रस्तुत कर लोगों को गुरू के प्रति समर्पित होना के लिए कहा। मौके पर जगत गुरु देवाधिदेव महादेव की महिमा को बखान करते हुए शेखपुरा के मधुकर पांडेय ने कहा कि जगत गुरू शिव की शिष्यता ही अब एक मात्र विकल्प है। शिव जन-जन के गुरू है। इनको अपनाकर जीवन को सफल बना सकते हैं। अब व‌र्त्तमान समय में मानवीय गुण प्राय: लुप्त हो गया है। मानवीय गुण के अभाव में आज सत्मार्ग का राह गुरू से ही संभव है। बिना गुरू, प्राणी, खासकर मानव अपनी पूर्णता को प्राप्त नहीं कर सकता है। वहीं गुरुभाई। आरपी सिंह ने कहा कि अब गुरू मात्र परमात्मा शिव है इन्हें आदि गुरू व जगत गुरू भी कहा जाता है। गुरू शिवदाता गुरू हैं और जितने भी तथा-कथित शरीर धारी गुरू है। वे प्रदाता गुरू के श्रेणी में आते है। जब दाता गुरू संभव है तो क्यों नहीं हम उनसे शिष्य के रूप में जुड़कर मानवीय गुण प्राप्त कर शिव के जैसा कार्य करें। वहीं गुरू भाई रणधीर सिंह ने उपस्थित भक्तों को विस्तार पूर्वक बताया कि शिष्य भाव का जगना ही शिष्य होना है। और उन शिष्य का संबंध गुरू से होना ही जीवन का आधार है। पहला सूत्र दया मांगना बताते हुए कहा कि शिव आप मेरे गुरू है ,मैं आपका शिष्य हूं, मुझ शिष्य पर दया कर दीजिए। दूसरा सूत्र चर्चा करना बताया इसके माध्यम से उन्होने चर्चा करने का रूपान्तरण करते हुए बताया कि शिव मेरे गुरू हैं आपके भी हो सकते हैं इन्हें अपना गुरू बनाकर अपना सर्वाथ सिद्ध करें। तीसरा सूत्र नमन करना बताते हुए कहा कि ''नम: शिवाय'' पंचाक्षर मंत्र से अपने गुरू शिव को मन ही मन एक दीवा रात्रि में कम से कम 108 बार प्रणाम करने के रहस्य को बताया ताकि इनके करने से अच्छे परिणाम मिल सके। मौके पर निरंजन साव, आतिश साव, प्रमोद साव,किशोरी प्रसाद, राजनीति सिंह, महेश पांडेय, सुनीता देवी, बिनीत देवी, संध्या कुमारी, आंचल कुमारी, मनीषा कुमारी, अन्नू कुमारी सहित सैकड़ों शिव शिष्य मौजूद थी।

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