हालात संभालिए नीतीश जी...वरना आप इतिहास के सबसे बड़े खलनायक साबित होंगे

बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच का सच-----

जमुई ।। बिहार में कोरोना वायरस के संदिग्धों की जांच में घोर लापरवाही बरती गई है, डर है कि इसकी वजह से बिहार भारत का वुहान ना साबित हो जाए। पीएमसीएच के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने मुझे जो बातें बताई हैं वो पांव तले की ज़मीन खिसकाने वाली है।

पीएमसीएच में बुधवार शाम तक कोरोना के संदिग्धों के लिए सिर्फ 20 से 22 बेड का इंतज़ाम था। कागज़ पर कई फरमान घूम रहे हैं 100 से ज्यादा बेड की बात कही गई है..लेकिन सुबह तक इंतजाम ज़मीन पर उतरे नहीं । पीएमसीएच के नेत्ररोग विभाग और त्वचा रोग विभाग को आइसोलेशन सेंटर में बदलने का फैसला कागज़ों पर है।

ज़मीनी हालात कैसे हैं और रहे हैं...ये एक-एक कर जान लीजिए

पीएमसीएच में कोरोना संदिग्धों के लिए अलग से कोई फ्लू काउंटर पूरी तरह से चालू नहीं हुआ है। वे सीधे इमरजेंसी में पहुंच रहे हैं। फ्लू काउंटर बनाने का फैसला अभी तक कागजों में घूम रहा है।

एक मरीज जिसमें कोरोना की पुष्टि हुई थी और बाद में उसकी मौत हो गई। यहां डॉक्टरों के मुताबिक उसे शुरु में पीएमसीएच के पुराने मेडिकल इमरजेंसी के टाटा वार्ड में इलाज के लिए लाया गया था...लेकिन कोरोना की बाद में पुष्टि होने पर भी यहां के टाटा वार्ड को सेनिटाइज नहीं किया गया। बुधवार तक यही हालात थे। ये घोर लापरवाही का चरम है।

इससे घबराए डॉक्टर टाटा वार्ड से बाहर आ गए..और ऑपेन स्पेस में बैठने लगे। इनमें से कुछ डॉक्टरों ने गर्ल्स कॉमन रूम में मरीजों का ट्रीटमेंट शुरू किया। इन डॉक्टरों ने बार-बार पूरे टाटा वार्ड को सैनिटाइज्ड करने की मांग की लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

इमरजेंसी के वरिष्ठ डॉक्टर के मुताबिक उन्हें बुधवार तक ...PPE (PERSONAL PROTECTION EQUIPTMENT) तक नहीं दिए गए थे। इऩ्हें बिना संक्रमण से सुरक्षा के इंतज़ामों के सीधे इलाज के लिए कहा गया। ऐसा नहीं करने पर नौकरी लेने की धमकी दी गई। दो दिन पहले तक (मंगलवार-25 मार्च तक )इमरजेंसी के कई डॉक्टरों को सामान्य मास्क और ग्लब्स तक नहीं दिए गए थे। इनमें से कुछ को एचआईवी से बचाव के किट दिए गए...जिससे कोरोना के संक्रमण से बचने की गारंटी नहीं।

ज़रा सोचिए ये कैसी नारकीय स्वास्थ्य व्यवस्था है ? ये हाल तब है जबकि पीएमसीएच बिहार के 12 करोड़ से भी ज्यादा लोगों के लिए आखिरी उम्मीद की तरह है। लेकिन डॉक्टरों तक को मौत के मुंह में धकेल दिया गया। अगर डॉक्टर संक्रमित हुए तो सोचिए कितने लोग भी संक्रमित हो चुके होंगे।

इस वक्त इमरजेंसी के कम से कम 3 से 4 रेजिडेंट डॉक्टरों को कोरोना से संक्रमित होने का संदेह है...अभी जांच रिपोर्ट का इंतजार है..। डॉक्टर डरे हुए हैं। बीमार डॉक्टरों ने खुद को अलग-थलग कर रखा है। वे गुहार लगाकर कह रहे हैं कि बिहार को बचा लीजिए। यहां तक कह रहे हैं कि अगर हम कल को सरकारी लापरवाही से मर गए तो कोई बात नहीं...बाकी आम लोग बच जाएं तो शांति मिलेगी।

पीएमसीएच के डॉक्टर खुद को लाचार बता रहे हैं..उनका कहना है कि लॉकडाउन के इस हालात में दूर-दूर से यहां पहुंचे संदिग्ध मरीजों के इलाज में खानापूर्ति के हालात हैं। बड़ी तादाद में आए मरीजों को सुबह तक 20 से 22 बेड के भीतर कैसे आइसोलेटेड वार्ड में एडजस्ट किया जा सकता है...इसलिए उन्हें कुछ शुरूआती दवा और सलाह देकर..घर में अलग-थलग रहने की सलाह देकर...भेजा जा रहा है। इससे जो जगह खाली हो रही थी.उसी में बाकी को एडजस्ट किया जा रहा था। इस वार्ड के इलाज का सच ये है कि जिन रेजिडेंट्स को कोरोना से पीड़ित होने का संदेह है...वे खुद इस वार्ड में भर्ती होने को तैयार नहीं।

इतना होने के बाद अब जाकर कुछ PPE किट दिए जाने की शुरूआत हुई है...लेकिन जरा सोचिए कि अब तक हो जो चुका है...उसके कितने गंभीर नतीजे हो सकते हैं।

अब जांच की बात-----बिहार में 5 टेस्ट सेंटर्स खोलने का फैसला हुआ फिर इसे चालू करने की बात कही गई.लेकिन ये दो से तीन दिन पहले की बात है।

उससे पहले लिए गए सैंपल्स और उनकी जांच को लेकर असमंजस है। क्योंकि सैंपल लेने वाले अलग डिपार्टमेंट के डॉक्टरों ने साफ कह दिया था कि बिना जरूरी सुरक्षा किट के वे संदिग्ध का सैंपल नहीं ले सकते।

गौर करने वाली बात ये है कि कोरोना की जांच के लिए सैंपल...थ्रोट स्वैब के जरिए लिए जाते हैं...अगर आपके पास जरूरी सुरक्षा किट नहीं हो तो जांच के नमूने लेने में भी संक्रमण का खतरा था। इसलिए कई डॉक्टरों ने इससे मना कर दिया। इसलिए संदिग्धों की जांच के वास्तविक आंकड़े पर संदेह है। संख्या आशंकाओं से भी बड़ी हो सकती है। क्योंकि जांच के सही..सटीक आंकड़े तभी मिल पाते..जबकि सभी संदिग्धों के सैंपल समय पर लेकर उनकी पूरी जांच होती..। ऐसे नाकाफी इंतजाम तब रहे हैं..जबकि पूरी दुनिया अलर्ट हो रही थी।

मौजूदा समय में एनएमसीएच को पूरी तरह से कोरोना संदिग्धों के इलाज के लिए विशेष अस्पताल घोषित किया गया है। लेकिन खबर है कि वहां के 86 रेजिडेंट डॉक्टर्स...संक्रमण से जुड़े जरूरी इंतजाम नहीं होने की वजह से...क्वेरेंटाइन में चले गए हैं। अब पीएमसीएच या किसी दूसरे अस्पताल से जिस मरीज को भी एनएमसीएच भेजा जाएगा...उसका कितनी जल्दी और कितनी तेजी से इलाज होगा...सैंपल लिए जाएंगे...टेस्ट होगा...इसकी जमीनी हकीकत समझी जा सकती है। मरीजों के परिजनों पर लॉकडाउन के इस हालात में क्या गुजरेगी आप खुद समझ सकते हैं।

अस्पतालों के अधीक्षक डॉक्टरों को नौकरी जाने का डर दिखा रहे हैं लेकिन अपनी गलती पर पर्दा डालने में जुटे हैं। जरूरी इंतजाम करने के लिए कदम उठाने पर चुप हैं। या तो उन्होंने सरकार को हालात से निपटने के इंतजामों को लेकर अंधेरे में रखा या सरकार नींद में थी। दोनों में जो भी हो...प्रदेश औऱ देश इसका भयंकर खामियाजा भुगत सकता है।

आखिरी बात...ये स्थिति पूरी तरह बदले, इसके लिए जरूरी है कि आप भी ज्यादा से ज्यादा पक्की सूचनाएं जुटाएं और सरकार को आगाह करें...क्योंकि हमारी जागरूकता ही हम सभी को...और इस लापरवाह व्यवस्था को जगा सकती है।

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