संकट कि घड़ी में घबराए नहीं धैर्य बनाएं - डॉक्टर संध्या

वाराणसी ।। महिलाए समाज का अभिन्न अंग है चाहे वो परिवार हो या फिर समाज, महिलाओं के स्वस्थ कि चिंता सभी को होनी चाहिए लेकिन अभी भी महिलाए आर्थिक, सामाजिक, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी पीछे है।

गर्भावस्था महिला के जीवन का महत्वपूर्ण चरण है। डॉ संध्या सीनियर रेजिडेंट, प्रसूति विभाग, चिकित्सा विज्ञान संस्थान,   काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं पूर्व चिकित्सक, एम जी एम हॉस्पिटल, मुंबई ने जागरूकता के तहत जानकारी देते हुए बताया कि गर्भवती महिलाएं में एनीमिया एक प्रमुख समस्या है।  यह ऐसी स्थिति है, जिसके अंतर्गत रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम हो जाता है।  डब्लू एच वो का अनुमान है कि हमारे देश में 42 प्रतिशत महिलाएं एवं 65 प्रतिशत गर्भवती महिलाए एनीमिक है। भारत में एनीमिया प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रक्तस्राव, हृदय विफलता, संक्रमण और प्रिकलम्सिया के कारण मातृ मृत्यु के 40 प्रतिशत लक्षण के लिए जिम्मेदार है।विश्व स्वास्थ्य संगठन  गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतिदिन  60 मि.ग्रा. आयरन अनुपूरण की सलाह देता हैं तथा भारत सरकार गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतिदिन 100 मि.ग्रा  आयरन अनुपूरण की सलाह देता हैं । एनीमिया के उपचार में जागरूकता एवं पौष्टिक व संतुलित आहार की जानकारी जैसे की विटामिन सी, प्रोटीन और लौह से भरपूर आहार, खाने के साथ चाय और काफी के सेवन से दूर रहने की आवश्यकता है। लौह से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दाल, गुड़, चुकंदर, हरि सब्जियां, मेवे, अंडा, मछली, अंजीर आदि के नियमित सेवन और गर्भावस्था के दूसरी तिमाही से नियमित रुप से आयरन के गोली के सेवन से एनीमिया से बचा जा सकता है।

डा संध्या ने बताया कि इंटरनेशनल जनरल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हैल्थ के रिपोर्ट के अनुसार विश्व में लगभग 5 लाख से अधिक की मौत गर्भावस्था के दौरान होती है जिसका एक प्रमुख कारण हाई रिस्क प्रेगनेन्सी है । भारत में हाई रिस्क प्रेगनेन्सी की दर 20 से 30 प्रतिशत है। जिसमें प्रमुख रूप से उच्च रक्त चाप, मधुमेह, हृदय या गुर्दे की समस्या, ऑटो इम्यून रोग, थायरायड रोग, महिला की आयु 17 साल से कम या 35 साल से अधिक है। इसके अतिरिक्त गर्भवती महिला को यदि पूर्व गर्भावस्था के दौरान प्रीइकलम्सिया या इकलम्सिया, बच्चा आनुवंशिक समस्या के साथ पैदा हुआ हो, एच आई वी या हेपेटाइटिस सी  के संक्रमण रहा हो तो वह हाई रिस्क प्रेगनेन्सी  का कारण बन सकता है। इससे बचने के लिए महिला को डाक्टर की देखरेख में नियमित रूप से परिछड़ में रहना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान हर महिला को भरपूर मात्रा में पानी पीने जरूरी होता है। जहां तक संभव हो जंक फूड से अपने आप को दूर रखें। गर्भवती महिला को हित या योग्य आहार विहार का सेवन करना चाहिए तथा मैथुन, क्रोध एवं शीत से बचना चाहिए।

वर्तमान में कोविड - 19 के चलते देश में घोषित लॉक डाउन सबके लिए चुनौती पूर्ण अनुभव है। प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश एवं प्रदेश में उससे निपटने के लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को सावधान रहने की अधिक आवश्यकता है। उन्हें पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए। घर से बाहर, अस्पताल इत्यादि जाते  समय मास्क जा प्रयोग अवश्य करे। बार बार साबुन से हाथ धोए । सामाजिक दूरी (social distensing) का पूरा पालन करे।

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