भगवान को प्रेम और भक्ति का बंधन ही स्वीकार्य- आचार्य श्री राघव जी

समोधपुर, जौनपुर।

जौनपुर जनपद के सुइथाकला विकास खण्ड के समोधपुर गाँव में श्री श्री 108 बाबा रामयज्ञ दास जी महाराज की प्राचीन कुटी के नाम से क्षेत्र में मशहूर श्रीरामजानकी मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ में आज पंचम दिवस की कथा में आचार्य राघव जी के मुखरविंद से  भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को भक्त श्रोताओं ने सुनकर परम आनंद का अनुभव किया ।आचार्य ने बताया कि  भगवान को जगत के किसी बंधन में बांधना सम्भव नहीं है । प्रेम और भक्ति के दो बंधन ही ऐसे बंधन हैं जिसमें बंधने के लिये प्रभु स्वयं व्याकुल रहते हैं । 

अपनी बाल लीला में प्रभु ने कंस के भेजे बहुत से असुरों को मारकर प्रभु ने पृथ्वी का भार कम किया । प्रभु ने भक्त गोप - गोपियों को आनन्द देने के लिये माखनचोरी की लीला भी किया। प्रभु ने अपनी लीला2 से विधाता ब्रह्मा के भ्रम को समाप्त किया और देवराज इंद्र के अहंकार को तोड़कर गोवर्धन गिरिधारी की लीला भी किया। 


कथा के बीच में सुंदर भजनों को भी भक्त श्रोताओं को आचार्य जी अपनी मधुर आवाज से सुनाकर भाव विभोर कर देते हैं । आचार्य जी भगवान की लीलाओं के माध्यम से मनुष्य को कल्याण का सुगम मार्ग भी बताते हैं ।


 कलियुग के प्राणियों के लिये कथा सत्संग ही जीवन में प्रेरणा देने वाली है । अतः मनुष्य को इसका जहाँ भी अवसर प्राप्त हो लाभ अवश्य लेना चाहिये।

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