वैश्विक महामारी करोना के कारण सब अपने घरों में कैद है ऐसे में सबकी मनोदशा की अभिव्यक्ति का प्रयास

 पिंजड़ा

है कौन सी जगह ऐसी

जहाँ जा सके हम

है कोई लम्हा ऐसा

जब मुस्कारा सके हम

है कोई लम्हा----

1-कब तक रहेंगे यू कैद

अपने ही घरों में 

डर के साये में जी के

थक गए हम

एक सांस दे दो ऐसी

जो खुल के जी सकें हम

है कोई लम्हा-----

2-एक भय सा छिपा है

सबके दिलों के अन्दर

सोचती हूँ कब तक

सब ठीक रह सकेगा

आयेगा वो समय कब

जब निश्चिन्त हो सकें हम

है कोई लम्हा---

3-पिजड़ो में कैद है हम

सब साध है अधूरी 

पंखों में जान देके

तुम आश्वस्त कर दो

उन्मुक्त हो गगन में

उड़ान भर सकें हम

है कोई लम्हा----

           रीता श्रीवास्तव

रिपोर्टर

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