नौनिहालों को यक्ष्मा संक्रमण से बचाव के लिए जन्म के तुरंत बाद बीसीजी के टीके लगवाएँ : डॉ. अशोक कुमार सिंह
- रामजी गुप्ता, सहायक संपादक बिहार
- Aug 19, 2021
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कुपोषण और अल्पवजन , रोग बढ्ने में सहायक
भभुआ ।। श्वसन संबंधी गंभीर रोगों में शामिल टीबी एक संक्रामक रोग है जो किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन छोटे बच्चों में विशेष तौर से कुपोषित और एनीमिया प्रभावित बच्चों में इस संक्रमण का खतरा अन्य की तुलना में अधिक होता है। टीबी अमूमन फेफड़ों को प्रभावित करता है लेकिन कई बार यह दूसरे अंगों को भी प्रभावित करने लगता है। जिनसे बच्चों को बचाने के लिए जरूरी है उनका बेहतर स्वास्थ्य , मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता और सही समय पर टीकाकरण।
इन लक्षणों से पहचाने बच्चों में टीबी के लक्षण:
जिला यक्ष्मा उन्मूलन पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया छोटे बच्चों में भी टीबी के लक्षण लगभग बड़ों की तरह ही होते हैं । जैसे
• कफ
• बीमार व कमजोर रहना
• आलस व खेलने में रुचि नहीं होना
• वजन में लगातार कमी होना
• रात में पसीना आना
• बुखार रहना
• शारीरिक विकास में कमी
यह रोग मायकोबैक्ट्रयम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है जो हवा के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक खांसने, छींकने या थूक आदि से फैलता है।
जन्म के तुरंत बाद करवाएँ बीसीजी टीकाकरण:
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के शोध के अनुसार पीडियाट्रिक ट्यूबरक्लोसिस या छोटे बच्चों में टीबी संक्रमण के सबसे अधिक मामले पांच साल की उम्र से कम आयु वर्ग के बच्चों में देखा जाता है। जिसकी संभावना को बीसीजी टीका द्वारा कम किया जा सकता है। इसलिए जन्म के तुरंत बाद या जितनी जल्दी हो सके (एक साल के अंदर )शिशु को बीसीजी का टीका अवश्य दिलवाएं ।
बच्चे यदि ग्रस्त हैं तो रखे इन बातों का ध्यान :
डॉ सिंह ने आगे बताया अमूमन तो बच्चों के स्वास्थ्य , विकास और पोषण पर सतर्क रहने पर उनमें टीबीग्रसित होने की संभावना कम होती है । फिर भी यदि उन्हे टीबी हो जाता है तो
• पीड़ित बच्चे को अन्य बच्चों के संपर्क में लाने से बचायें
• उसके कमरे को हवादार बनाए रखें
• यदि घर से बाहर जाने की आवश्यकता हो तो बच्चे को मास्क पहनाकर ही भेजें
• बच्चे को श्वसन संबंधी स्वच्छता और व्यक्तिगत स्वच्छता रखने के लिए प्रोत्साहित करते रहें
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की है आवश्यकता :
सही पोषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता से अधिकांश रोग यूं हीं दूर हो जाते हैं। जबकि अल्प वजन और कमजोर बच्चों को टीबी अपनी गिरफ्त में जल्दी लेता है तब उनके पोषण का ख्याल रख कर उन्हें रोग से बचाए रखना बेहद जरूरी है। इसलिए उन्हें पौष्टिक आहार दें। खानपान में विटामिन सी की मात्रा वाले भोज्यपदार्थ शामिल करें। उनके भोजन में मछली, अंडा व पनीर सहित आयरन, विटामिन डी व विटामिन सी वाले भोज्य पदार्थ शामिल करें। टीबी पीड़ित बच्चों के लिए अच्छी नींद जरूरी है। साथ ही उन्हें नियमित हल्के व्यायाम करने के लिए भी कहें।
ध्यान रहे टीबी लाइलाज नहीं :
डॉ. सिंह ने कहा टीबी भले ही एक गंभीर रोग है किन्तु यह लाइलाज नहीं है। इसका सम्पूर्ण और निःशुल्क उपचार सभी सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलव्ध है। इसलिए घबराने की आवश्यकता नहीं है।यदि बच्चे में सामान्य से भी लक्षण दिखे और टीबी होने की शंका हो तो तुरंत इलाज कराएं ताकि बच्चा टीबी मुक्त हो सके।
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