संक्रमण के तीसरी लहर के मद्देनजर बच्चों का समुचित स्वास्थ्य देखभाल जरूरी : डॉ. सिन्हा


पीडियाट्रिक कोविड मैनेजमेंट विषय पर स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

• लक्षणों सामने आने से पूर्व संक्रमण की पहचान व इसके अनुसार इलाज जरूरी

आरा, 20 जनवरी ।। छोटे उम्र के बच्चों को कोरोना संक्रमण के खतरों से बचाना जरूरी है। बड़े-बुजुर्गों की तुलना में बच्चों के संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। जिले में संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। लिहाजा बच्चों की सेहत व स्वास्थ्य महत्वपूर्ण हो चुका है। उक्त बातें अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. के एन सिन्हा ने पीडियाट्रिक कोविड प्रबंधन विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कहीं। एसीएमओ डॉ. सिन्हा ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए बताया, संक्रमण के तीसरी लहर के संभावित खतरों के मद्देनजर बच्चों की सेहत का समुचित ध्यान रखने व संक्रमण से जुड़ी चुनौतियों से निजात दिलाने के उद्देश्य से इस प्रशिक्षण का आयोजन किया गया है। केयर इंडिया की डीटीएल डॉ. आशीष कुमार देखरेख में प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल संचालन किया गया। मौके पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मी मौजूद रहें।

छोटे उम्र के बच्चों के अधिक प्रभावित होंगे संभावना :

मुख्य प्रशिक्षक की भूमिका चिकित्सक डॉ. अनिल कुमार व डॉ. अभय आनंद के साथ जीएनएम रिंकू कुमारी ने निभाई। इन लोगों को राजधानी पटना में पूर्व में जरूरी प्रशिक्षण दिया गया है। इसके बाद जिलास्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर प्रखंडस्तरीय अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। डॉ. अनिल कुमार ने बताया, ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि अगर संक्रमण की तीसरी लहर अपना असर दिखाता है। तो इससे छोटे उम्र के बच्चे ही सबसे अधिक प्रभावित होंगे। इसे देखते हुए कर्मियों को प्रशिक्षित करते हुए चिकित्सा संस्थानों में आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने को लेकर जरूरी प्रयास किया जा रहा है। 

बच्चों में संक्रमण का ससमय पता लगाना जरूरी : 

डॉ. अभय आनंद ने बताया, बच्चे की बीमारी की सही पहचान, उनका समुचित इलाज व प्रबंधन प्रशिक्षण का उद्देश्य है। कोरोना के लक्षण बच्चों व बड़ों में एक सामान होते हैं। बच्चे अपनी समस्या बता नहीं पाते। लक्षणों सामने आने से पूर्व संक्रमण की पहचान व इसके अनुसार उनका जरूरी इलाज के लिये कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बच्चों में शारीरिक गतिविधियों की कमी, बच्चे का सुस्त होना, सांस तेज चलना, छाती का अंदर की तरफ धंस जाना,शरीर का नीला पड़ना, आंखों में खिचाव, संक्रमित व्यक्ति से किसी तरह से संपर्क में आने पर बच्चों के संक्रमित होने की संभावना होती है। ऐसे किसी भी लक्षण दिखने पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में उनका समुचित इलाज जरूरी है।

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