सांस्कृतिक परंपराओं का संरक्षण करते हुए पर्यावरण की रक्षा में आदिवासी समाज की भूमिका अहम -- अमृता फडणवीस

भिवंडी। सांस्कृतिक परंपराओं के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण करने वाले समाज के रूप में आदिवासी समाज का महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस समाज द्वारा उन सभी की रक्षा प्रेम से की जाती रही है। महिला सक्षमीकरण करने के लिए सिर्फ कहा जाता है लेकिन आदिवासी समाज ने अपने महिला संगठना के बल पर महिलाओं को सशक्त बना दिया। राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस द्वारा महिलाओं को मजबूती से खड़े होने के लिए संतोष व्यक्त किया। इस प्रकार की भावना श्रमजीवी संगठन द्वारा आयोजित गणेश पुरी में स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर बोल रही थी। उन्होंने आगे कहा कि प्रभु राम ने इस समाज का समर्थन किया। एकलव्य इसी समाज से हुए। इस समाज को मुख्यधारा में लाने तथा उन्हें भोजन, वस्त्र और आश्रय प्रदान करने की आवश्यकता है। यही नहीं बिना भीख मांगे अपने अधिकारो के ख़ातिर लड़ने के लिए जागरूक करने की आवश्यकता है समाज के अधिकारों से इनकार करने वाले के खिलाफ भी लड़ाई लड़ना है। चाहे वह मुख्यमंत्री हो अथवा तलाठी। अमृता फडणवीस ने जोर देकर कहा कि वह श्रमजीवी संगठन के साथ मजबूती से खड़ी रहेंगी।‌

ठाणे व पालघर जिले में आदिवासी समुदाय को आजादी का मतलब क्या था और 1982 तक हमारे देश का नाम क्या है यह नहीं पता था। 1984 में मजदूर संघ की स्थापना के बाद उन्हें झंडे को सलामी देने के लिए संघर्ष करना पड़ा। इसके लिए 13 लोगों को जेल भी जाना पड़ा। स्वतंत्रता नायकों को याद करते हुए, यह उत्सव हर वर्ष आयोजित किया जाता है। विवेक पंडित ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश को आज़ाद हुऐ 75 वर्ष हो गये किन्तु आदिवासी समाज आज भी  भोजन,आश्रय, वस्त्र,शिक्षा, स्वास्थ्य आदि बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है।

इस अवसर पर श्रमजीवी संगठन के संस्थापक विवेक पंडित, विद्युलता पंडित, अध्यक्ष रामभाऊ वारणा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक  स्मिता पाटिल, कार्यकारी अध्यक्षता स्नेहा पंडित दुबे, महासचिव बालाराम भोईर, उपाध्यक्ष दत्तात्रेय कोलेकर, जिलाध्यक्ष अशोक सापटे आदि गणमान्य मौजूद थे।

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