रामपंथ आयोजन में बनवासी दलितों ने लिया दीक्षा जौनपुर ने धार्मिक इतिहास बनाया

जौनपुर ॥ जलालपुर राम काज के विस्तार के लिये, राम मंदिरों की गांव–गांव में स्थापना के लिये, अंतिम व्यक्ति तक राम नाम पहुंचाने और राम मंदिरों में पुजारी बनाने के लिये रामपंथ ने महादीक्षा संस्कार का आयोजन जौनपुर के छितौना जलालपुर गांव में किया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये मुसहर और आदिवासी समाज के लोगों के चेहरे पर प्रसन्नता और संतोष के भाव थे।


आज उन्हें वो सम्मान मिलने वाला था जो कोई सरकार नहीं दे सकती थी। सनातन धर्म में सर्वोच्च सम्मान संतों, महात्माओं और पुजारियों को है। रामपंथ ने सनातन धर्म को व्यवहारिक रूप से समावेशी बनाने के लिये सूत्र दिया ‘सबके राम, सबमें राम’। रामपंथ ने तय किया कि देशभर में राम संस्कृति का विस्तार, पारिवारिक एकता जातियों में समरसता की भावना विकसित करने हेतु गांव–गांव में श्रीराम परिवार का मंदिर बनाया जायेगा। जहां भगवान श्रीराम–माता जानकी, भगवान भरत–माता माण्डवी, भगवान लक्ष्मण–माता उर्मिला, भगवान शत्रुघ्न–माता श्रुतकीर्ति एवं संकट मोचन हनुमान जी की मूर्ति स्थापित होगी। 9 अंक भक्ति, शक्ति, ग्रहों का होता है। इस मंदिर से भारतीय संस्कृति और पारिवारिक एकता स्थापित होगी। लोग देखेंगे कि सब से बड़े भगवान श्रीराम जब अपने चारों भाइयों के साथ रहकर स्नेह रख सकते हैं तो हम क्यों नहीं ǃ रामपंथ ने अपनी स्थापना के साथ ही सबको पूजा करने और पुजारी बनने का अधिकार दिया है। जिनके पूर्वज कभी भगवान श्रीराम के वनवास और लंका चढ़ाई के दौरान उनके साथ रहे, उनकी सेना में रहे और रावण जैसे दुरात्मा को खत्म करके धर्म की स्थापना में अपना सहयोग दिये, समय बदलने के साथ भगवान श्रीराम के साथियों के वंशज समाज के सबसे उपेक्षति और तिरस्कृत हो गये, अपने राम से दूर कर दिये गये, लेकिन आज उनके वंशजों को ससम्मान रामपंथ में दीक्षित कर पुजारी बनने का अधिकार दिया गया। सनातन धर्म के सबसे बड़े धर्माचार्य शंकराचार्य वासुदेवानन्द सरस्वती स्वयं महादीक्षा संस्कार में पहुंचे। काशी के वैदिक ब्राह्मण पंडित अमित पुरोहित ने 7 वैदिक ब्राह्मणों को लेकर वैदिक मंत्रों के साथ सभी दीक्षा लेने वाले राम प्रेमियों से हवन कराया, तिलक लगाया, गंगा जल एवं पंचगव्य से आचमन कराने के बाद गुरूमंत्र लेने के लिये संकल्पित कराया।

परम पूज्य शंकराचार्य वासुदेवानन्द सरस्वती, रामपंथ के संस्थापक गुरूदेव इन्द्रेश कुमार, रामपंथ के पंथाचार्य डा० राजीव श्रीगुरूजी, पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास, अयोध्या साकेत भूषण श्रीराम पीठ के पीठाधीश्वर महंत शम्भु देवाचार्य, आचार्य विपिन, गया के संत चून्नु साईं ने सभी मुसहर एवं आदिवासी समाज के महिला पुरूषों के गले में तुलसी की कंठी डाली, रामनामी अंगवस्त्र दिया और कान में राम नाम का गुरूमंत्र दिया। गुरूमंत्र लेने के बाद सभी रामपंथियों के चेहरे खिल उठे। चेहरे पर गर्व और सम्मान के भाव थे। सभी वरामपंथियों को राम काज के विस्तार की जिम्मेदारी दी गयी। गांव–गांव में राम परिवार का मंदिर बनाने की योजना बनी। सभी रामपंथियों ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर का दर्शन करने एवं सरयू में स्नान करने का शपथ लिया। आदिवासी और मुसहर समाज की 

1000 वनवासी,नट एवं बॉसफोर महिला एवं पुरुषों ने रामपंथ में दीक्षा ग्रहण ली।

इस अवसर पर रामपंथ के पंथाचार्य डा० राजीव श्रीगुरूजी एवं रामपंथ के ट्रस्टी दिनेश चौधरी ने नये रामपंथियों को शॉल ओढ़ाकर, तिलक लगाकर एवं माला पहनाकर सम्मानित किया।सोनभद्र के आदिवासी समाज के दीक्षित द्वारिका प्रसाद खरवार को रामाचार्य की पदवी देकर आदिवासियों के बीच में पूजा पाठ कराने का अधिकार दिया गया। इस अवसर पर शंकराचार्य वासुदेवानन्द सरस्वती ने कहा कि भारत में जो भी जन्म लिये हैं वह जन्म से हिन्दू हैं। सब भारत माता की संतान हैं। कोई ऊंचा नहीं, कोई नीचा नहीं। जमीदारी प्रथा खत्म हो गई है। अब हम सब समान हैं। राम तारक मंत्र है। देश और धर्म के प्रति निष्ठा व्यक्त करें, भगवान राम का नाम लेते रहें। पहले से मेरी कल्पना थी, इस बात की बहुत चिंता थी कि हमारे वनवासियों में विदेशी पहुंचकर ईसाइयत का प्रचार कर रहे हैं। इसका कुछ उपाय करना चाहिए। गांव-गांव, वन-वन चलकर हम जाएंगे, सबकी सुनेंगे। हमारी कल्पना को चरितार्थ कर दिया। सनातन धर्म ने दीक्षित किया। इससे पता चलता है सब एक है। कोई अशुद्ध नहीं है। कोई छुआछूत नहीं। सब प्रयाग में स्नान करते हैं तो कहां विभेद है। प्रकृति हमें विभेद नहीं सिखाती। रामपंथ का हिन्दू सांस्कृतिक पुनर्जागरण में महान योगदान है। सब हिन्दू रहें, यही मेरी दक्षिणा है। इस अवसर पर इन्द्रेश कुमार ने कहा कि अब भगवान श्रीराम के साथ धर्म की स्थापना करने वाले उनके साथियों के वंशजों को राम काज करने की जिम्मेदारी देकर सर्वोच्च समान दिया गया। अब ये न अछूत हैं और न ही उपेक्षित। इनके सम्मान से ही भारतीय संस्कृति का सम्मान बढ़ेगा। अब राम संस्कृति के विस्तार की जिम्मेदारी भगवान श्रीराम के साथियों के वंशजों के कंधे पर है, जिन्हें हम आज मुहसर और आदिवासी कहते हैं। रामपंथ के पंथाचार्य डा० राजीव श्रीगुरूजी ने कहा कि दुनियां में शांति स्थापना हेतु रामपंथ का विस्तार जरूरी है। रामपंथी सभी धर्मों के बीच समन्वय और सेतु का काम करेगा। सभी धर्मों के बीच समन्वय हेतु रामपंथ ने ‘रामसेतु योजना’ का प्रारम्भ किया है। महंत बालक दास ने कहा कि मुसहर एवं आदिवासी समाज अब दुनियां में राम नाम का विस्तार करेगा और सनातन विरोधियों को राम नाम के मंत्र से जवाब देगा। अब दुनियां का कोई भी व्यक्ति इनको लालच देकर धर्मान्तरण नहीं करा सकता। दीक्षा संस्कार कार्यक्रम का आयोजन पूर्व विधायक एवं रामपंथ के ट्रस्टी दिनेश चौधरी ने किया। संचालन अर्चना भारतवंशी ने किया। इस अवसर पर नजमा परवीन नाज़नीन अंसारी डॉ० मृदुला जायसवाल खुशी भारतवंशी इली भारतवंशी उजाला भारतवंशी दक्षिता भारतवंशी  ने सहयोग किया। दीक्षित होने वालों में सोनभद्र के राजेन्द्र प्रसाद शिव नारायण शोभनाथ चन्द्रकेत लाल धर्मपाल जीत जगबन्धन गोले शिव प्रसाद भिखराज सोमारी राजेश राजकुमार रामनाथ रंगलाल प्रशांत द्वारिका प्रसाद गुलाब जगत सीताराम दशमतीआ रामकलीआ आदि एवं जौनपुर के पप्पू राजा राम संगीता सुमन दुर्जन संजू सीमा सुरसत्ती दल सिंगार बेबी परदेशी भुनगा दुर्गावती अनिल सोनी राहुल बनवासी सनोज सीता देवी शकुन्तला लालजी राम बिलास गौरी शंकर धनिया नरेश दुर्गा रेखा बुधिया सुभाष दिन्नू सुभावती, शशिकला कौशल्या प्रदीप इंदु शिव पूजन पिंकी देवी कलपत्ती देवी संतोषी पचुई शीला शिवदौर लक्ष्मीना हिमांशु सिंह ब्लाक अध्यक्ष हिन्दू युवा वाहिनी डोभी सच्चिदानंद सिंह संदीप प्रजापति सुबास सिंह राजेश सिंह रितेश सिंह  अच्छेलाल राजभर राकेश चौहान बदामी सुभाष पन्ना लाल आदि सैकड़ों लोग रामपंथ में  दीक्षित हुए।

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