पत्रकारिता बन गया व्यापार का जरिया

प्रकाश चन्द्र शुक्ल की रिपोर्ट

जौनपुर ।। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में 23 फरवरी को होने वाले दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में विज्ञापन जारी किया गया। इसमें दैनिक, साप्ताहिक, अंग्रेजी, उर्दू सभी तरह के अखबारों को सम्मिलित किया गया। इसके बावजूद कुछ चुनिंदा पत्रकार द्वारा अधिक कमाई के लिए लगातार विश्वविद्यालय की छवि खराब करने के लिए उल्टे सीधे आरोप लगाए जाते हैं। ना केवल विश्वविद्यालय की छवि के लिए बल्कि ब्लॉक ,नगर पालिका और तमाम विभागों को भी निशाना बनाया जाता है जो विभाग ज्यादा पैसे का विज्ञापन जारी करता है उसके साथ ये पत्रकार खड़े होते हैं । जो विभाग विज्ञापन जारी करने से इनकार करता है या कम पैसे का विज्ञापन जारी करता है उसके खिलाफ खबर चलाने की धमकी और भी कई तरह की चीजें की जाती है। बताते चले की जहां पत्रकारिता को समाज सेवा कहा जाता है वही कुछ छोटी मानसिकता के पत्रकार अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए बड़ी-बड़ी संस्थाओं को बड़े-बड़े विभागों को अधिकारियों को निशाना बनाने में जुटे हुए हैं। अगर इसी तरह से चलता रहा तो क्या पत्रकारिता को समाज का दर्पण कहा जाएगा? ऐसे पत्रकारों के चलते जौनपुर जिले के पत्रकारों की छवि धूमिल हो रही है। जिन्हें चार लाइन ठीक से लिखने नहीं आता जिनके अखबार की पीडीएफ सकते हो और उनका आर एन आई और डीएवीपी नंबर ना हो ऐसे पत्रकार विश्वविद्यालय के खिलाफ खबर चलाकर अपने ही भद्र पिटवा रहे हैं। शायद उन्हें या नहीं मालूम कि विश्वविद्यालय बुद्धिजीवियों का केंद्र है हम जो गलतियां करके समाचार पत्र निकाल रहे हैं उसी समाचार पत्र की आचार संहिता नियम कानून पत्रकारिता के विद्यार्थियों को पढ़ाए जाते हैं। विश्वविद्यालय कोई व्यवसायिक केंद्र नहीं है कि वह आपको विज्ञापन देने के लिए बाध्य हो विश्वविद्यालय की खबर जो समाचार पत्र नहीं छपते वह भी विश्वविद्यालय से ऊंची धनराशि का विज्ञापन की मांग कर रहे हैं शायद उनको यह नहीं पता की विश्वविद्यालय 12 जिले से 2 जिले पर आ गया है उसकी आर्थिक स्थिति खुद कमजोर है इसके बावजूद जिले के पत्रकारों का सम्मान कर रहा है इसके लिए विश्वविद्यालय को साधुवाद देना चाहिए।

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