समानता के अधिकार की मांगों को लेकर राष्ट्रीय आरक्षण विरोधी संयुक्त मोर्चा के द्वारा एकदिवसीय धरना प्रदर्शन
- एबी न्यूज, संवाददाता
- Aug 19, 2023
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प्रधानमंत्री के नाम सौपा गया ज्ञापन
राष्ट्रीय सवर्ण समाज संघ बिहार प्रदेश के पदाधिकारियों ने अपने गृह जिला कैमूर से दिल्ली पहुंच लिया भाग
"सामान्य वर्ग के साथ हर क्षेत्र में हो रहे भेदभाव, पक्षपात, उत्पीड़न दमन व शोषण के विरुद्ध सवर्ण आयोग गठन का आरक्षण विरोधी संयुक्त मोर्चा ने किया मांग"न्यू दिल्ली ।। जंतर मंतर पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर समानता के अधिकारों की मांगों को लेकर, राष्ट्रीय आरक्षण विरोधी संयुक्त मोर्चा के द्वारा प्रधानमंत्री के नाम सौंपा गया ज्ञापन, सामान्य वर्ग के साथ हर क्षेत्र में हो रहे भेदभाव, पक्षपात, उत्पीड़न, दमन व शोषण के विरुद्ध सवर्ण आयोग गठन का किया गया मांग, जिसमें राष्ट्रीय सवर्ण समाज संघ बिहार प्रदेश के पदाधिकारियों द्वारा, अपने गृह निवास कैमूर से दिल्ली पहुंच कर लिया गया भाग। संदर्भ में जानकारी देते हुए राष्ट्रीय सवर्ण समाज संघ प्रदेश अध्यक्ष बिहार सह कलमकार कुमार चन्द्र भुषण तिवारी के द्वारा बताया गया, की देश के सत्तासीन पार्टियों सहित,देश के सभी राजनीतिक पार्टियों द्वारा सामान्य वर्ग के अधिकारों का हनन करते हुए, जातिगत कानूनों एवं जाति गत व्यवस्था निर्धारण कर सामान्य वर्ग के अधिकारों का हनन करते हुए, भेदभाव पक्षपात पूर्ण रवैया अपना उत्पीड़न दमन व शोषण किया जा रहा है। जिसके विरुद्ध समानता के अधिकारों की मांगों को लेकर, जय क्रांति मिशन के राष्ट्रीय संयोजक अरुणेश मिश्र के आवाहन पर, देश भर के सामान्य विचारधारा के संगठनों (आरक्षण विरोधी संयुक्त मोर्चा के) द्वारा नई दिल्ली जंतर मंतर पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया।
संबंध में प्रधानमंत्री प्रतिनिधि को आवेदन सौंपते हुए, आवेदन के माध्यम से प्रधानमंत्री को अवगत कराया गया कि जातिगत आरक्षण से देश में प्रतिदिन सामान्य वर्ग के युवाओं के प्रतिभा की हत्या की जा रही है। वही एससी एसटी एक्ट के दुरुपयोग से सामान्य वर्ग का लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है। यहां तक की पूरे देश में आरक्षित 10130 लोकसभा एवं 1250 विधानसभा क्षेत्र की लगभग 60 करोड़ जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का भी हनन किया जा रहा है। क्योंकि वहां की सामान्य वर्ग की जनता सिर्फ वोट देती है, उसे अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ने का अधिकार भी नहीं है। जबकि पूरे विश्व में इस तरह की व्यवस्था किसी भी देश में नहीं है। यह सम्मान वर्ग एवं ओबीसी वर्ग के जनता के साथ न्यायोचित व्यवहार नहीं किया जा रहा है,जो की यह कटु सत्य है। इसकी पूर्ण जानकारी इस तथ्य से भलीभांति अवगत है, कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। देश के प्रत्येक नागरिक को बिना जातीय, लैंगिक, क्षेत्रीय, धार्मिक भेदभाव के समान अवसर मिलना लोकतंत्र का मूल सिद्धांत है। लेकिन भारत में लोकतंत्र के नाम पर बनी सांसद द्वारा लोकतंत्र के मूल सिद्धांत समानता की निरंतर हत्या किया जा रहा है। आपको यह भी स्मरण होगा कि अब तक के अनुसार दलित और पिछड़ा वर्ग को मिलाकर 50% आरक्षण दिया जा रहा है। जबकि शेष बची आबादी तथाकथित सामान्य वर्ग के साथ अपने देश में गुलामों जैसा व्यवहार किया जाने लगा है। बात यहीं पर समाप्त नहीं होती है, अभी भी राजनीतिक दल आरक्षण की सीमा 50% से अधिक करना चाहते हैं। जबकि सर्वोच्च न्यायालय इसे असंवैधानिक घोषित कर चुका है। पर अत्यंत दु:खद स्थिति यह है कि हमारे लगभग सभी संसद सदस्य वोट बैंक के अंतहीन लालच में, तरह-तरह के जातीय कानून बनाकर सामान्य वर्ग के नागरिकों, युवाओं, छात्रों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, कर्मचारीयों और यहां तक की रोगियों तक के साथ शिक्षा, न्याय, नौकरी, प्रमोशन, राजनीतिक, छात्रवृत्ति, चिकित्सा मुआवजा आदि में चौतरफा भेदभाव कर रहे हैं। तथा सभी अवसरों से वंचित कर जानबूझकर उपेक्षित कर रहे हैं। वैसे भी जब देश के सर्वोच्च पद पर अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति के रूप में माननीय महामहिम राष्ट्रपति महोदया एवं अति पिछड़ा व्यक्ति के रूप में आप स्वयं दूसरी बार प्रधानमंत्री पद पर आसीन है, तो संपन्न दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण देना घोर बेईमानी है, जो कि लोकतंत्र पर धब्बा है।
आपको यह बताना चाहते हैं कि हमारे समक्ष अनेकों उदाहरण है जिस में दलितों द्वारा सवर्णो के साथ लड़ाई झगड़ा करने एवं मारपीटकर एससी एसटी एक्ट में केस किया जाता है, जिसमें सामान्य वर्ग को ही जेल भी जाना पड़ता है। पर एससी एसटी वर्ग के द्वारा झूठा मुकदमा लिखवाने के बावजूद भी 850000 रुपए सरकार के द्वारा देकर मनोबल को बढ़ाया जाता है।अतः हम आपसे मांग करते हैं, कि देश की आरक्षित 131 लोकसभा एवं 1250 विधानसभा सीट को सामान्य बनाया जाए। जब तक आरक्षित सीटों को सामान्य नहीं बनाया जाता है तब तक पंचायती राज्य चुनाव की तरह प्रक्रिया में लाया जाए। जिस प्रकार आरक्षित सीटों पर सामान्य ओबीसी वर्ग चुनाव नहीं लड़ सकता है, उसी तरीके से अनारक्षित सीटों पर आरक्षित वर्ग को चुनाव न लड़ने से संबंधित निर्देश जारी किया जाए। प्रमोशन में आरक्षण पूरे देश की केंद्र एवं राज्य सरकार के सरकारी नौकरियों में खत्म किया जाए, एवं वरिष्ठता के क्रम के आधार पर प्रमोशन दिए जाने का आदेश दिया जाए। जनसंख्या नियंत्रण कानून देश में अति शीघ्र लागू किया जाए, जिससे महंगाई एवं बेरोजगारी पर लगाम लगाया जा सके। एससी एसटी एक्ट का मुकदमा फर्जी पाए जाने एवं कोर्ट से दोषमुक्त किए जाने के पश्चात वादी को दिए जाने वाले रकम का 10 गुना प्रतिवादी को दिया जाए जिससे फर्जी मुकदमे दर्ज किए जाने पर रोक लग सकें। यदि समान नागरिक संहिता केंद्र सरकार द्वारा देश में लागू किया जाता है तो जातिगत आरक्षण एवं एससी एसटी एक्ट को खत्म करते हुए देश में बनाए गए जातिगत एवं धर्मगत आयोग को भी समाप्त किया जाए, यदि ऐसा नहीं होता है तो सभी आयोगों की तरह सामान्य वर्ग आयोग का भी गठन किया जाए जो जनहित और राष्ट्रहित में होगा। ईवीएम को हटाकर बैनर पेपर से चुनाव कराया जाए जिससे ईवीएम से संबंधित भ्रांतियां दूर हो सके और पारदर्शित व्यवस्था कायम हो सकें, क्योंकि यहां बताना उचित होगा कि विश्व के किसी भी विकसित देश में ईवीएम व्यवस्था लागू नहीं है। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप इस मांग पर गंभीरता पूर्वक विचार करके केंद्र सरकार को लोकतंत्र के मर्यादा के अनुरूपदेश के प्रत्येक नागरिक को शिक्षा राजनीतिक न्याय नौकरी एवं प्रमोशन में समान अवसर देने का मार्ग प्रशस्त करने हेतु, संबंधित को आवश्यक निर्देश जारी करेंगे। अन्यथा इस भारत देश को पतन के मार्ग पर जाने एवं गृह युद्ध से कोई रोक नही पाएगा। उपरोक्त मांगों को पूरी नहीं की जाती है तो देश भर के सामान्य वर्ग किसी भी दल को वोट देने की बजाय ईवीएम में सबसे नीचे की बटन नोटा दबाने के लिए मजबूर होगा, जो कि हमारे विरोध का प्रतीक होगा जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी। उक्त अवसर पर आरक्षण विरोधी संयुक्त मोर्चा के संयोजक अवधेश कुमार मिश्र, के साथ ही मोर्चा में सम्मिलित आरक्षण विरोधी संगठन राष्ट्रीय सवर्ण समाज संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र मालखेड़ी, राष्ट्रीय सवर्ण समाज प्रदेश कार्यकारिणी अध्यक्ष बिहार जैनेंद्र तिवारी उर्फ चातर बाबा, क्रांति सेना के संस्थापक विंध्याचल मिश्र, आजाद मंच के संस्थापक यू एस राणा, सुधाकर तिवारी नोटा हिंद फौज, पंडित त्रिलोक तिवारी, जातिगत आरक्षण विरोधी पार्टी के संस्थापक रविंद्र जठेरी, सवर्ण समाज सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णानंद मिश्रा, पत्रकार नागपाल शर्मा राजगढ़, सुनील कुमार आजाद, दविंद्र सचदेवा हरियाणा, त्रिभुवन शर्मा के साथ ही लगभग जातिगत आरक्षण विरोधी संयुक्त मोर्चा में सम्मिलित तीन दर्जन संगठनों के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपस्थित रहें।
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