किसान यूनियन कार्यालय पर पदाधिकारीयों की बैठक में लिया गया अहम निर्णय

जिला संवाददाता कुमार चन्द्र भुषण तिवारी की रिपोर्ट

कैमूर-।।  जिला के मोहनियां शहर क्षेत्र स्थित कैमूर जिला किसान यूनियन  के कार्यालय पर यूनियन के पदाधिकारीयों समेत सदस्यों की बैठक हुई जिसमें सर्वसम्मति से जैतपुरा कैनाल पंप के उद्घाटन हेतु मुख्यमंत्री को आमंत्रण देने के साथ ही कई विषयों पर निर्णय लिया गया। संदर्भ में संगठन के अध्यक्ष हरिजी सिंह ने बताया कि कैमूर किसान यूनियन की एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री को जैतपुरा पंप कैनाल के उद्घाटन के लिए आमंत्रित करने अति शीघ्र भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री के आने से विकास की तमाम संभावनाएं खुलने का अनुमान है। संगठन के सचिव  अमित राय के द्वारा बताया गया की मुख्यमंत्री के आने से भविष्य में विकास की संभावनाओं को पंख लग जाएंगे। जब मुख्यमंत्री जैतपुरा आएंगे तो जैतपुरा और धनाढ़ी (उत्तर प्रदेश) को जोड़ने के लिए एक अंतरराज्यीय पुल निर्माण की मांग होगी। इसके अलावा नुआंव में बिस्कोमान भवन की भी मांग होगी बनेगा तो किसानों को सहूलियत होगी। कर्मनाशा को संरक्षित करने के लिए भी मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्ताव रखा जाएगा। क्योंकि अगर नदी सूख जाएगी तो कर्मनाशा पर स्थित पंप कैनाल वैसे ही बंद हो जाएंगे। विश्वकर्मा पंप कैनाल पर यह समस्या पिछले जुलाई अगस्त में देखी गई थी। आज की बैठक में उपस्थित लोगों की सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष पद पर रमेश राय को मनोनीत किया गया, जिनका सभी सदस्यों ने स्वागत किया। कैमूर किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य विकास सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा मनरेगा और जीविका को किसानी से जोड़ना चाहिए, ताकि किसानों को मजदूरों का आसानी से सहयोग मिल सकें। नुआंव प्रखंड के सचिव चंदन राय ने कहा की मुख्यमंत्री के आगमन पर नुआंव  प्रखंड में एक महाविद्यालय और एक मेडिकल कॉलेज की भी मांग करेंगे। कैमूर किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य पंकज राय ने कहा कि बिहार सरकार जल जीवन हरियाली पर हजारों करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन उसका सीधा असर जमीन पर नहीं दिख रहा है। ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण असंतुलन के कारण अब असामयिक वर्षा, बाढ़, सुखाड़ की स्थिति का सामना किसान कर रहे हैं।  जल जीवन हरियाली जैसी योजना सिर्फ कागजों में सिमट कर रह जाता है। यदि बारीकी से देखा जाए तो मनरेगा योजना  एक संगठित लूट साबित हुई हैं। इससे न तो मजदूरों का पलायन रुका है, न ही मजदूरों को रोजगार मिला है। क्योंकि इस योजना में जेसीबी और ट्रैक्टर के द्वारा कार्य कराया जाता है। सरकार को प्रत्येक मजदूर की बायोमैट्रिक अटेंडेंस लगा करके काम करने का प्रावधान किया जाना चाहिए। मोदी सरकार की फसल बीमा योजना भी बुरी तरह से फेल हुई है, इस योजना में सिर्फ बीमा कंपनियां को प्रीमियम के जरिए हजारों करोड़ों रुपए लाभ हुआ है। प्राकृतिक आपदा से न तो किसानों को हुए नुकसान का कोई सर्वे होता है और न ही फसल बीमा का मुआवजा मिलता है। अगर कैमूर जिले में सरकार द्वारा किए जा रहे भूमि अधिग्रहण मामले में न्याय संगत भुगतान किसानों को नहीं किया गया, तो इसके खिलाफ संगठन हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेगा।

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