महसूल विभाग में रात व दिन काम करने वाले कोतवाल चतुर्थ श्रेणी के लिए कामबंद आंदोलन में भिवंडी के ३० कोतवाल सहभागी

भिवंडी ।। राज्य शासन के महसूल विभाग में रात व दिन काम करने वाले कोतवााल को केवल ५ हजार रुपये ही मानधन के रूप में भुगतान किया जाता है। इस प्रकार  वेतन पर निर्भर होकर कोतवालों को महीना भर गुजर बसर करना पड़ता है। जिसकारण कोतवालों को इतने कम मानधन पर परिवार चलाना मुश्किल हो गया है और अनेक संकट का सामना करना पड रहा है।इसलिए उक्त समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए राज्य शासन ने कोतवाल कर्मचारियों के लिए तैयार किए गए छठे वेतन आयोग की स्वीकृत शिफारिस केे अनुसार चतुर्थ श्रेणी के १४ हजार ९६९ रुपये प्रति माह वेतन समिति अहवाल लागू कराने की  मांग के लिए महाराष्ट्र राज्य कोतवाल संघटना ने नाशिक विभागीय आयुक्त कार्यालय के सामने राज्यव्यापी बेमुद्दत कामबंद आंदोलन शुरु किया है। उक्त आंदोलन में सहभागी होने के लिए भिवंडी कोतवाल संघटना के अध्यक्ष नारायण पाटिल ,प्रमुख सचिव लक्ष्मण म्हात्रे के नेतृत्व में तहसीलदार शशिकांत गायकवाड को ज्ञापन सौंपा है।उक्त अवसर पर कोतवाल संघटना के पुरुषोत्तम केणे ,विजय गायकवाड ,रमेश जाधव ,सुनिल पाटिल ,रुपेश चित्तेवार ,जागृती कातवारे ,सुनिल कामडी ,प्रविण चव्हाण ,अनंता भोईर ,अनिल जाधव ,चैतन्या पवार आदि सहित कोतवाल संघटना के सभी सदस्य उपस्थित थे।भिवंडी में कोतवालों द्वारा कामबंद आंदोलन शुरु करने पर तलाठी कार्यालय में तलाठियों की सहायता के लिए कोतवाल नहीं होने के कारण कामकाज ठप्प है। जिसकारण विविध प्रमाण पत्र व अन्य कामकाज के लिए लगने वाले दस्तावेज स्कूल के विद्यार्थियों सहित ,किसानों ,नागरिकों को अनावश्यक परेेशानीका सामना करना पड रहा है।महसूल विभाग में कोतवालों की प्रमुख सेवााएं होोती हैं जिससे अनेक सरकारी कार्यों में इनका सहभाग होता है। वरिष्ठ सरकारी यंत्रणा कोतवालों द्वारा चतुर्थ श्रेणी का काम कराने के लिए हैं इनका इस्तेमाल करते हैं परंतु कोतवालों  को केवल ५ हजार रुपये मानधन दिया जाता है। इसीलिए राज्य कोतवाल संघटना ने नाशिक स्थित बेेमुद्दत राज्यव्यापी आंदोलन शुरु किया है। जब तक राज्य सरकार द्वारा १२ हजार ६३७ कोतवाल कर्मचारियों को चतुर्थ श्रेणी का दर्जा प्राप्त नहीं होगा उस समय तक बेमुद्दत आंदोलन जारी रहेगा। इस प्रकार की प्रतिक्रिया भिवंडी तालुका कोतवाल संघटना के अध्यक्ष नारायण पाटिल ,प्रमुख सचिव लक्ष्मण म्हात्रे ने व्यक्त किया है।                

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