ढहते पुल दरकते भवन फटता ढलाई वाला ग्रामीण पथ क्यों

 संवाददाता श्याम सुंदर पाण्डेय की रिपोर्ट 

 दुर्गावती (कैमूर)-संवाददाता की कलम से--ब्रिटिश कालीन पुल और भवन आज भी जहां बने हैं उन भवनों और पुलो में फटना तो दूर दरारें तक नहीं आई, लेकिन आजाद भारत के जमाने में जहां देखो वहां पुल ढह जाते है। और भवनों में दरारे पानी टपकना रिसाव आना ग्रामीण पथ का फटना आम बात हो गई है। क्या जिस मेटेरियल से इनका निर्माण होता है  वह अच्छे क्वालिटी के नहीं होते और अच्छे क्वालिटी के नहीं होते तो फिर प्रयोग में कैसे लाया जाता है क्या बिल बनाने वाले कर्मचारियों की मिली भगत होती हैं यह भी विचारणीय विषय है। क्या पुल की समय सीमा तय नहीं होती और यदि होती है तो बनने और ढहने के बाद जांच कमेटी के द्वारा बाते सामने नहीं आई और यदि आई तो फिर पुनरावृति ऐसी घटनाओं की कैसे और क्यों हो रही है यह एक गंभीर सवाल है इसकी चर्चा तो सदन से लेकर राजनीतिक गलियारों में होनी चाहिए फिर खोमोशी क्यों। क्या बने हुए पैमाने के आधार पर काम नहीं होता और यदि पैमाने के अनुसार काम होता है तो फिर ऐसी घटनाए कैसे होती है। आखिरकार सरकार उपयोग में लाए जाने वाले सामान को सही नहीं मानती या भुगतान के लिए बनाए गए बिल को जिसके आधार पर ठेकेदारों को पैसे मिलते हैं यह भी एक विचारणीय विषय है। आज तक बिल बनाने वाले किसी अधिकारियों को सरकार ने कभी जेल भेजा है और नहीं भेजा है तो ठेकेदारों को ही जेल भेज ब्लैक लिस्ट कर इति श्री क्यों मान लेती है। क्या हर योजना की कमीशन में सरकारी पदाधिकारी से लेकर नेता तक शामिल है जिसके कारण जांच की प्रक्रिया का धीरे चलना और सही दोषियों पर कार्रवाई नहीं होना क्या दर्शाता है। जनता हर बात को समझ रही है लेकिन ऐसे मामलों के विरोध में कभी सड़क पर नहीं उतरती यादि उतरती तो इस तरह योजनाओं में  घाघली नहीं होती जिससे करोड़ों की क्षति भारती जनता के टैक्स के पैसे की नही होती। सरकार  चाहे जो भी मान रही हो लेकिन इस तरह से योजनाओं में हो रहे अननियमता से सरकार के बट्टे पर धब्बा जो लग रहा है उससे सरकार की छबि धूमिल हो रही है और जनता को ईसे बारकी से समझना चाहिए की किस सरकार में क्या  हो रहा है। जनता यदि हिसाब किताब नहीं रखेगी तो ऐसी योजनाओं का होना स्वाभाविक है और होती रहेगी।

आज बिहार में एक ही दिन में ???? पुल और गिरे पिछले ???????? दिन में बिहार में कुल ???? पुल जल समाधि ले चुके है।

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