भिवंडी में फर्जी हकीम का पर्दाफाश

अवैध क्लीनिक सील, मरीज की हालत नाजुक

भिवंडी। जहां बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं, वहां की स्लम बस्तियों में अवैध और बिना लाइसेंस वाले क्लीनिक तेजी से फैल रहे हैं। नगर पालिका के स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई के बावजूद, इन क्लीनिकों का फिर से खुलना प्रशासन की लचर कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। आज बुधवार को एक और ऐसे ही फर्जी दवाखाने पर कार्रवाई की गई, जिसे बिना किसी वैध चिकित्सा प्रमाणपत्र के चलाया जा रहा था। सूत्रों के अनुसार, पिछले कई वर्षों से अशिफ और फिरोज खान नामक दो भाई वार्ड क्रमांक 14, नदिया पार इलाके में "जिशान पाइल्स" के नाम से क्लीनिक चला रहे थे। यह क्लीनिक बवासीर का इलाज बिना ऑपरेशन के दवाओं के जरिये करने का दावा करता था। इनका क्लिनिक बोर्ड एक हकीम एम.ऐ हलीम के नाम से सजा हुआ था, जिससे मरीजों को गुमराह किया जा सके।

इसी परिसर के रहने वाले परवेज़ अंसारी जो बवासीर से पीड़ित थे, इस झूठे दावा करने वाले क्लीनिक के झांसे में आ गए। उनके परिवार के अनुसार इलाज के नाम पर उनका ऑपरेशन कर दिया गया और अंग्रेजी दवाएं लिखी गईं। इस तथाकथित इलाज के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें गंभीर हालत में मुंबई के नायर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जहां उनकी स्थिति नाजुक बनी हुई है।

पूर्व नगरसेवक मतलूब सरदार ने आरोप लगाया कि ये क्लीनिक अवैध रूप से बिना किसी लाइसेंस के चलाया जा रहा था। वर्ष 2023 में भी पालिका ने इस अवैध क्लीनिक पर कार्रवाई की थी और केस दर्ज किया था। लेकिन कुछ समय बाद ही यह क्लीनिक फिर से शुरू हो गया। उन्होंने कहा, "पालिका के स्वास्थ्य विभाग को इन गतिविधियों की जानकारी होने के बावजूद, समय पर ठोस कार्रवाई नहीं की गई।"अब जाकर पालिका के स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी जयवंत धुले और उनकी टीम ने इस क्लीनिक को सील कर दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। मतलूब सरदार ने फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ कठोर कदम उठाने और उन्हें कानूनी शिकंजे में लाने की मांग की है। यह घटना पालिका प्रशासन की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है, जहां अवैध क्लीनिक फिर से खुल जाते हैं, जिससे गरीब और जरूरतमंद लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती है। अब देखना होगा कि प्रशासन इन फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कदम उठाकर शहर में अवैध रूप से चल रहे क्लीनिकों पर लगाम कसता है या नहीं।

रिपोर्टर

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