भिवंडी की सियासत में 'पैराशूट बम' का धमाका, बाहरी नेताओं की एंट्री से जनता में गुस्सा !

भिवंडी। इस विधानसभा चुनाव में भिवंडी की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। भिवंडी पूर्व और पश्चिम सीट पर बाहरी, तथाकथित ‘पैराशूट उम्मीदवारों’ की एंट्री से शहर का मिजाज गरमा गया है। भिवंडी पूर्व से रईस शेख और भिवंडी पश्चिम से वारिश पठान और दयानंद चोरघे का चुनावी मैदान में उतरना, मानो भिवंडी के स्थानीय लोगों के गले नहीं उतर रहा। जनता का मानना है कि बाहरी उम्मीदवारों को टिकट देकर स्थानीय कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की अनदेखी की गई है।

"क्या हम केवल नारे लगाने और झंडे उठाने के लिए हैं ?"::::

इस सवाल के साथ स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी साफ देखी जा सकती है। उनका कहना है कि वर्षों से पार्टी की सेवा करने वाले स्थानीय लोग नजरअंदाज हो रहे है और ऐसे लोग चुने जा रहे हैं जिनका भिवंडी से न कोई खास जुड़ाव है, न जमीनी पकड़। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें महज भीड़ जुटाने का जरिया मान लिया है और बाहरी उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारकर उन्हें उनके हक से वंचित किया जा रहा है।

'गुलाम वंश' की शुरुआत, भिवंडी करों का सम्मान दांव पर ! :::

भिवंडी में इस वक्त चर्चा का विषय यही है कि क्या बाहरी नेताओं के चयन से "गुलाम वंश" की शुरुआत हो रही है ? क्या भिवंडी की जनता को केवल आदेश मानने वाली प्रजा समझा जा रहा है ? जनता में भारी असंतोष है और कई मतदाता इस बार नोटा (NOTA) का बटन दबाने का मन बना रहे हैं।

क्या इस बार NOTA बनेगा नया हथियार ?:::

भिवंडी की सड़कों पर आम लोगों में यह चर्चा गर्म है कि क्या इस बार "नोटा" का सहारा लेकर जनता अपना विरोध जताएगी। यह चुनाव महज उम्मीदवारों के चयन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भिवंडी के स्वाभिमान की लड़ाई बनता जा रहा है। क्या पार्टी नेतृत्व इस गुस्से को शांत कर पाएगा? या फिर जनता की नाराजगी ही पैराशूट उम्मीदवारों का "क्रैश लैंडिंग" कराएगी? सभी की नजरें अब इस बात पर हैं कि भिवंडी का फैसला क्या होगा — क्या बाहरी उम्मीदवारों की 'पैराशूट एंट्री' उन्हें सत्ता तक पहुंचाएगी या फिर जनता उन्हें पूरी तरह नकार देगी ?

रिपोर्टर

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