भारत को गद्दारों से मुक्ति कब -वरिष्ठ कलमकार

कैमूर--देश में चल रही दोयम नीति के कानूनी प्रक्रियाओं को देखते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुंदर पांडे ने कहा इस देश में राष्ट्र विरोधी कानून  धर्म विरोधी, आतंकवाद में सम्मिलित लोगों से इस देश को मुक्ति कब मिलेगी। जिस देश में वंदे मातरम गाने वाले लोगो न हो, भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे लगे जिस देश में राष्ट्रगान न गाने की शपथ ली जाए , भारत माता की जय न बोलने पर लोग अड़े  हो, दूसरे देशों के झंडा फहराये, किसी धर्म के देवी देवताओं को गाली दिया जाए, मंदिर तोड़ दिए जाएं, अपनी कमाई का हिस्सा आतंकवादियों जैसे संगठनो को दिया जाए, महिलाओं के साथ-साथ छेड़छाड़ बलात्कार और हत्या किया जाए, मजहबी नारे लगाए जाए, सरकारी संपत्ति को लूटकर महल खड़ा किया जाए, जातिवादी कानून बनाया जाए, जातिवादी राजनीति की जाय, क्या यह सब राष्ट्र विरोधी काम नहीं है इस पर आखिरकार देश में  सख्त कानून बनाकर कारवाई कब होगी जिससे ऐसे गद्दारों को जड़ से समाप्त किया जा सके।जिस देश की पहचान आज दुनिया में सनातन की संस्कृति से हो और उसे खड्यंत्र करके मिटाने की साजिश हो क्या ऐसे गद्दारों को देश में शरण देनी चाहिए। देश का संविधान जब बना उसमें त्रुटियां नहीं थी न मजहबी आधार पर कानून था न देश में जातिय आधार पर परमानेंट आरक्षण की व्यवस्था न हीं चुनाव में राजनेताओं को आरक्षण के आधार पर टिकट। फिर भी इस संविधान को इतना तोड़ मडोर दिया गया कि उसकी रूपरेखा ही बदल गई और उसी का हवाला देकर देश में राजनीति जा रही है। क्या इस देश में देश के साथ गद्दारी करने वाले ऐसे लोगों को देश में रहने की या राजनीतिक संरक्षण मिलने का अधिकार है। देश आज जहां जा रहा है देश में विखंडन दिखाई दे रहा है जात-पात दिखाई दे रहा है यह सब इस गद्दारी का परिणाम है इसलिए इस गद्दारी का समापन आखिरकार कब होगा। पूछता है भारत की संस्कृति और भारत की मर्यादा और भारत का इतिहास। इन सब बातों को नजर अंदाज करने का परिणाम हुआ कि देश गुलाम हुआ और कई वर्षों तक गुलामी की जंजीर में जकड़ा रहा। यह सब कुछ होने के बाद भी भारत आज इन गद्दारों को देश में बर्दाश्त कर रहा है और इस पर कोई ठोस कानून न बनाकर ऐसे गद्दारों को बाहर करने की कोई रणनीति नहीं बना रहा है जो देश के लिए घातक है।

रिपोर्टर

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