"आयुक्त का लाडला" PRO श्रीकांत परदेसी विवादों में घिरे

➡️ प्रेस विज्ञप्तियोंं का मजाक,बार भेजना फिर उड़ा देने की आदत।

➡️ देर रात प्रेस विज्ञप्ति जारी करना, दोपहर 12 बजे के बाद कार्यालय में प्रवेश।

➡️ अखबार मालिकों से सांठगाठ कर विज्ञापन छपवाने का आरोप।

➡️ महापुरुषों के जयंती व पुण्यतिथि कार्यक्रमों में नदारद।

⁉️प्रशासन की चुप्पी भी बनी सवालों का कारण

भिवंडी। भिवंडी-निजामपुर शहर महानगरपालिका में कार्यरत जनसंपर्क अधिकारी (PRO) श्रीकांत परदेसी इन दिनों अपनी कार्यशैली को लेकर लगातार विवादों में घिरे हुए हैं। जिस पद पर वे नियुक्त हैं, वह प्रशासन और जनता के बीच संवाद का सेतु होता है, लेकिन परदेसी की कार्यप्रणाली को देखकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे इस जिम्मेदारी को निभा पा रहे हैं, या फिर ‘आयुक्त का लाडला’ होने का विशेष लाभ उठा रहे हैं?

सूत्रों का कहना है कि श्रीकांत परदेसी एक ही प्रेस विज्ञप्ति को कई बार पत्रकारों के वाट्शाप ग्रुप में भेजते हैं और फिर उसे कुछ देर में उड़ा देते हैं। यही नहीं पत्रकारों को प्रेस विज्ञप्ति की मूल कापी भी उपलब्ध नहीं करवाई जाती है। वें सिर्फ काम का ‘काम का दिखावा’ करते हैं।  यही नहीं अखबारों की डेड लाइन समाप्त होने के बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी करते है। यह न केवल पत्रकारिता की मूल भावना के खिलाफ है, बल्कि मीडिया संस्थानों की विश्वसनीयता को भी नुकसान पहुंचाता है।

शिकायतें यह भी हैं कि परदेसी रोजाना दोपहर 12 बजे के बाद ही महानगरपालिका मुख्यालय में प्रवेश करते है। एक जनसंपर्क अधिकारी से अपेक्षा होती है कि वह समय पर उपस्थित रहे और संवादों को समय पर निष्पादित करे। देर से आना सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि यह प्रशासनिक अनुशासन का उल्लंघन है। सूचना का अधिकार (RTI) नागरिकों का बुनियादी अधिकार है। लेकिन आश्चर्य की बात यह कि PRO परदेशी को RTI फीस की जानकारी नहीं है। यह आश्चर्यजनक है कि एक जनसंपर्क अधिकारी को इतनी महत्वपूर्ण जानकारी तक का ज्ञान नहीं है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या वे अपने कर्तव्यों के प्रति सजग हैं ?

कुछ अखबार मालिकों के साथ सांठगांठ कर विज्ञापन छपवाने का भी आरोप परदेसी पर लगाया गया है। यह आरोप इसलिए गंभीर हो जाता है क्योंकि इससे न सिर्फ पारदर्शिता प्रभावित होती है, बल्कि इससे यह भी संकेत मिलता है कि नगर पालिका के विज्ञापन का लाभ कुछ गिने-चुने लोगों तक सीमित रह गया है।

महापुरुषों की जयंती या पुण्यतिथि जैसे सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भी परदेसी की अनुपस्थिति अक्सर देखने को मिलती है। जनसंपर्क अधिकारी की यह जिम्मेदारी होती है कि वह ऐसे कार्यक्रमों का समुचित प्रचार करे, लेकिन उनकी गैरमौजूदगी ने कई बार आयोजनों की गरिमा को प्रभावित किया है।

शहर के कुछ मुस्लिम पत्रकारों ने आरोप लगाया है कि श्रीकांत परदेसी उनके साथ भेदभाव करते हैं और प्रेस विज्ञप्तियों व सूचनाओं में उन्हें नजरअंदाज किया जाता है। यह आरोप न केवल प्रशासनिक असमानता को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक समरसता को भी नुकसान पहुंचाता है।

इन सभी गंभीर आरोपों के बीच अब शहर के पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता और जागरूक नागरिक यह मांग कर रहे हैं कि PRO श्रीकांत परदेसी के खिलाफ निष्पक्ष जांच की जाए। यदि आरोप सत्य पाए जाते हैं, तो उनके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि मनपा प्रशासन की साख बनी रहे। भिवंडी मनपा प्रशासन इस पूरे मामले को कितनी गंभीरता से लेता है। क्या आयुक्त खुद अपने "लाडले" अधिकारी पर कार्रवाई करने का साहस दिखाएंगे, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबा दिया जाएगा ? यह समय बताऐगा।

रिपोर्टर

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