ईश्वरीय चमत्कार दिखाने वाले वाले कार्यक्रमों की निगरानी जरूरी

ईश्वरीय चमत्कार दिखाने वाले वाले कार्यक्रमों की निगरानी जरूरी

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मिर्जापुर । ईसा मशीह के जन्मदिवस पर एक प्रार्थना सभा में दो धर्म-गुरुओं का अस्पष्ट हो रहे उद्बोधन के बीच एक युवा महिला का सिर हिलाते, हाथ-पैर झटकते मंच के आसपास आकर सीधे पट्ट से गिरना ओझाई का ही एक दृश्य लगा । दुनियां 21वीं शताब्दी के दूसरे दशक में चन्द्रमा, मंगल और और वृहस्पति की ओर बढ़ रही है लेकिन ये धर्मगुरु भगवान का भय दिखाकर जादू-टोना के बल कुछ पाने की उम्मीद जगा रहे हैं तो यह चिंता की ही बात नहीं बल्कि निगरानी का भी विषय है ।


ग्रामीण क्षेत्र का दृश्य है

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शहर से सटे एक ग्रामीण इलाके हजारों नर-नारी एवं बच्चे हाथ ऊपर उठाकर, कुछ आंख बंद कर तथा कुछ आंख खोलकर मंच में अस्पष्ट गला फाड़कर चिल्ला रहे दो लोगों के साथ खुद भी चिल्ला रहे थे । इनकी चिल्लाहट, चीख पुकार कौन सुन रहा है, यह सिर ऊपर करने के कारण प्रतीत तो ऐसा ही हो रहा था कि ऊपर कोई रहता है, जहां इनकी आवाज जाएगी और ऊपर से कुछ टपक कर उनकी झोली में आकर गिरेगा ।


धर्म और अंध-विश्वास

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विज्ञान इस तरह के किसी प्रयास को सीधे सीधे अंधविश्वास करार देता है । कुछ साल पहले एक मुल्ला को भी देखा गया था जो सामने किसी पीड़ित को पीठ पर हाथ से तेज तेज ठोककर वह चाहे स्त्री हो या पुरुष अल्लाह से बात करने का दावा कर रहा था । इसी प्रकार कितने पुजारी-सन्त-महात्मा भी मनोकामना सिद्ध करने के बल पर जो अनैतिक कार्य कर रहे हैं, वह सबके सामने है ।


जागरूक संगठन हिम्मत नहीं जुटाते

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खुद को जागरूक मानकर संगठन चलाने वाले सिर्फ वहीं कार्यक्रम करते हैं जिनमें मंत्री, विधायक, आफिसर आएं और उनका अपने लोगों के बीच मान-सम्मान बढ़े । यदि समाज को जागरूक करने वाले सिर्फ मनोरंजन, लजीज व्यंजन के कार्यक्रमों से हटकर ढकोसलों के बल जीवन बदल देने वालों से सजग रहने के लिए वैज्ञानिक टीमों के साथ गांव-शहर में मीटिंग करें और यह समझाएं कि लम्बे दिनों से ऐसे ठकोसलेबाज लोगों के आगे गिड़गिड़ाने से क्या लाभ मिला तो शायद उसका असर पड़े ।


धर्मशास्त्र पर विश्वास है तो-

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अपने अपने धर्म के ग्रन्थों पर यदि विश्वास है तो ढकोसले बाज यह भी जान ले कि फर्जी और आडम्बर की सजा उन्हें भी मिलेगी । जिस ऊपर वाले का भय और चमत्कार का भरोसा दिया जाता है, वह इतना बेवकूफ नहीं कि ढकोसले को न समझे ।


धार्मिक कार्यक्रमों पर गुप्त निगरानी जरूरी

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किसी भी धर्म के ऐसे कार्यक्रम जिनमें ऊपरवाले की सत्ता से लाभ दिलाने का चमत्कार बताया जाता हो, उस पर गुप्त निगरानी की सख्त जरूरत है।  वरना अप्रिय घटना के बाद पानी में डंडा पीटने के सिवाय कुछ हाथ नहीं लगता । 


ऐसे कार्यक्रमों में पुलिस ड्यूटी का पैसा जमा हो

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ढोंग के बल पर यदि हजारों लोगों की भीड़ जुट रही है तो वहां पुलिस ड्यूटी का पैसा आयोजक से लेना चाहिए । इन भीड़ों में ज्यादातर ऐसे लोग दिखते हैं जो लगता है कई दिनों से भूखे हैं । यह भूखे लोगों की विवशता का लाभ लेना कहा जाएगा ।

-सलिल पांडेय, मिर्जापुर ।

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