कथा ही जीवन जीने का सबसे बड़ा स्हस्य बताता है

हरहुआ ।। रसूलपुर में चल रहे नवदिवसीय संगीतमय श्री रामकथा के दूसरे दिन  प्रथम पुष्प के रूप में परम पूज्या आराधना देवी जी ने कहा की हम कथा में बैठे बड़ी बात यह नही ,कथा हममे बैठ जाए बड़ी बात यह है ।

हमारा तन कथा में हो ये बड़ी बात नही है बल्कि कल्याण तो तब होगा जब हमारा मन कथा में लग जाए । शिव और सती दोनों ही कथा सुनने के लिए गए पर भगवान शिव ने कथा का श्रवण किया  और सती ने सन्त पर सन्देह किया कथा का श्रवण नही किया । परिणाम यह हुआ की मार्ग में भगवान शिव को लीला करते हुए भगवान राम का दर्शन हुआ और सती ने कथा को श्रवण नही किया तो  परम पिता परमात्मा भी साधारण मानव से लगे कथा का सार यही है,यदि हम कथा को मन से सुनेगे तो जीवन के मार्ग में भगवान् का दर्शन अवश्य होगा। देवी जी ने कहा की सती ने संत और भगवंत के ऊपर सन्देह किया ।भगवान कृष्ण गीता में कहते है आत्मा -अजर ,अमर और अविनाशी है लेकिन उसी गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते है आत्मा भले ही अजर ,अमर और अविनाशी है पर जिस क्षण यहा सन्देह का आगमन हो जाए तो संसय तो आत्मा का भी विनाश कर डालती है । इसलिए हमारे जीवन में संसय नही श्रद्धा होंनी चाहिए ।

द्रितीय पुष्प के रुप में कथा सुनाते हुए बाल ब्यास शशिकान्त जी महाराज ने कहा की ब्यक्ति जीवन में एक सच को छुपाने के लिए हजार झूठ बोलता है ,हजार झूठ को छुपाने के लिए लाख पाप करता है लेकिन ज़ीव अगर एक सत्य को स्वीकार ले तो वह लाख पाप करने से बच जाएगा बाल ब्यास ने कहा की सती भगवान राम की परीक्षा लेकर आई और शिव से झूठ बोला की हमने भगवान की परीक्षा नही ली । भगवान शिव समझ गए की सती झूठ बोल रही क्यों की जीव से छुपाना आसान है पर शिव से छुपाना बहुत मुश्किल है । भगवान शिव ने सती का त्याग कर दिया अगर सती ने एक सत्य को स्वीकार कर लिया होता तो वह उस अपराध से बच जाती।सत्य में ही जीवन है। कथा के शुभारम्भ में गौतम सिंह,अवधेश मिश्र (अवधू गुरु) अरुण तिवारी ने कथावाचकों का पंचक्रोशी के पावन धरा पर माल्यार्पण स्वागत किया।

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