इविवि छात्रसंघ भवन के सामने लाठीचार्ज, मची भगदड़ छात्र परिषद का विरोध करने पर दस छात्रनेता गिरफ्तार

इविवि छात्रसंघ भवन के सामने लाठीचार्ज, मची भगदड़

    छात्र परिषद का विरोध करने पर दस छात्रनेता गिरफ्तार

इविवि छात्रसंघ भवन के सामनेलाठीचार्ज, हुई भगदड़

अध्यक्ष, महामंत्री ने उग्र आंदोलन 

करने की दी चेतावनी

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) में छात्रसंघ की जगह छात्र परिषद का मॉडल लागू किए जाने के निर्णय के विरोध में शनिवार को छात्रसंघ भवन के सामने जमकर हंगामा हुआ। हालांकि, हंगामा बढ़ते ही वहां मौजूद फोर्स सक्रिय हो गई और अध्यक्ष, महामंत्री समेत दस छात्रनेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। शाम को सभी को निजी मुचलके पर रिहा भी कर दिया गया।

इविवि छात्रसंघ भवन के सामने सुबह से ही छात्रों का भीड़ जुटने लगी थी। बवाल की आशंका को देखते हुए मौके पर बड़ी संख्या में फोर्स तैनात कर दी गई थी। विधि संकाय में जैसे ही कार्य परिषद की बैठक शुरू हुई और छात्र परिषद के गठन का निर्णय की सूचना छात्रों को मिली, छात्रसंघ भवन के सामने हंगामा शुरू हो गया। छात्र वहां से निकलकर कुलपति दफ्तर की ओर बढ़े, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इसपर पुलिस और छात्रनेताओं के बीच धक्कामुक्की शुरू हो गई। पुलिस ने लाठियां भांजनी शुरू कर दीं और वहां भगदड़ मच गई। पुलिस ने छात्रसंघ अध्यक्ष उदय प्रकाश यादव और महामंत्री शिवम सिंह को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की सख्ती के बाद छात्रसंघ पर इकट्ठा भीड़ छंट गई और सन्नाटा छा गया। 

हालांकि, इसके बाद भी बवाल की आशंका बनी रही और पुलिस फोर्स छात्रसंघ भवन के आसपास तैनात रही। छात्रसंघ अध्यक्ष और महामंत्री ने कहा कि इविवि प्रशासन छात्रों की आवाज लाठियों के बल पर दबाना चाहता है। वह छात्र आंदोलन को कमजोर करना चाह रहा है, लेकिन छात्र चुप नहीं बैठेंगे। आने वाले दिनों में और भी उग्र आंदोलन होगा। उन्होंने लाठीचार्ज की भी निंदा की। छात्रनेता अविनाश विद्यार्थी ने कहा कि जिस तरह से छात्रों पर लाठीचार्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया, वह अन्याय है। गिरफ्तार किए गए छात्र नेताओं में अध्यक्ष एवं महामंत्री समेत विजय कांत, सुनील केसरवानी, विक्रांत सिंह, तबरेज, अंकित कुमार, अंजनी मिश्र, अभिषेक यादव एवं अंकित शामिल रहे।

आम आदमी पार्टी ने की गिरफ्तारी की निंदा

छात्रसंघ भवन से गिरफ्तार किए गए छात्र नेताओं में अंजनी मिश्र और अंकित आम आदमी पार्टी से जुड़े हैं। पार्टी ने बैठक कर कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे छात्र नेताओं की गिरफ्तारी प्रदेश सरकार की कुंठित मानसिकता की परिचायक है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बैठक में शिमला श्री, बृजेश कुमार सक्सेना, अल्ताफ अहमद, दिनेश सिंह, सर्वेश यादव, आकाश आदि मौजूद रहे।

चार कॉलेजों में खत्म होगा छात्रसंघ

ईसीसी में पहले से गठित है छात्र परिषद

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्याल (इविवि) के साथ संगठन कॉलेजों में भी छात्रसंघ की जगह छात्र परिषद का गठन किया जाएगा। अब तक इविवि के साथ चार कॉलेजों में भी छात्रसंघ का चुनाव कराया जा था लेकिन इस सत्र से इन चारों कॉलेजों में भी छात्र परिषद का गठन होगा। सीएमपी डिग्री कॉलेज, इलाहाबाद डिग्री कॉलेज, ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज और श्याम प्रसाद मुखर्जी महाविद्यालय में छात्रसंघ के लिए चुनाव कराया जाता था। बदली परिस्थितियों में अब इन चारों कॉलेजों में छात्रसंघ की जगह छात्र परिषद के लिए चुनाव कराया जाएगा। इसके अलावा इविंग क्रिश्चियन कॉलेज (ईसीसी) में पहले से ही छात्र परिषद है। ऐसे में वहां किसी तरह के बदलाव की जरूरत नहीं पड़ेगी। वहीं, एसएस खन्ना महिला महाविद्यालय में भी पहले से छात्रा परिषद है। 

ऐसे होगा छात्र परिषद का चुनाव

छात्रसंघ के चुनाव में कोई भी छात्र नामांकन कराकर चुनाव लड़ सकता है और सभी छात्र प्रत्यक्ष मतदान के जरिये पदाधिकारी चुनते हैं लेकिन छात्र परिषद में अप्रत्यक्ष मतदान से पदाधिकारी चुने जाएंगे। सबसे पहले संकायवार कक्षा प्रतिनिधि चुने जाएंगे। इन्हीं कक्षा प्रतिनिधियों में से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री, संयुक्त मंत्री, सांस्कृतिक सचिव एवं संकाय प्रतिनिधि का चुनाव होंगे। अलग-अलग पदों के लिए कक्षा प्रतिनिधि नामांकन कराएंगे और बाकी कक्षा प्रतिनिधि इन्हीं में से छात्र परिषद के पदाधिकारी का चयन करेंगे।

छात्रों ने उठाया सवाल, भ्रष्टाचार कम होगा या बढ़ेगा

एक तरफ इविवि प्रशासन छात्र परिषद का मॉडल लागू कर दावा कर रहा है कि इससे अराजकता और भ्रष्टाचार कम होगा। वहीं, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित मिश्र एवं अन्य छात्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार पंचायत चुनाव में भ्रष्टाचार का खत्म करने के लिए प्रत्यक्ष मतदान की व्यवस्था को लागू करने जा रही है तो दूसरी ओर इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन अपने भ्रष्टाचार का छिपाने के लिए छात्रसंघ के साथ प्रत्यक्ष मतदान की व्यवस्था को भी समाप्त कर रहा है। चंद कक्षा प्रतिनिधियों को कोई भी धमकाकर या लालच देकर उनका वोट हासिल कर सकता है लेकिन छात्रसंघ चुनाव में विश्वविद्यालय के सभी छात्र मतदान करते हैं और किसी के लिए भी इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को धमकाना या लालच देना मुमकिन नहीं है। ऐसे में छात्र परिषद का मॉडल लागू होने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।

ब्रिटिश शासन काल में भंग हुआ था छात्रसंघ

शुरुआत में प्रत्येक चार में कराया जाता था चुनाव

अब साल में एक चुनाव कराना भी पड़ रहा भारी

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) का छात्रसंघ हमेशा से सत्ता, शासन और विश्वविद्यालय प्रशासन की आंखों की किरकिरी बना रहा। छात्रसंघ को भंग करने या इसे समाप्त किए जाने का मामला पहली बार सामने नहीं आया है। ब्रिटिश शासनकाल में भी छात्रसंघ को भंग किया गया था और सात साल पहले वर्ष 2011 में भी छात्रसंघ को समाप्त कर छात्र परिषद के गठन का निर्णय लिया गया था।

इविवि छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्याम कृष्ण पांडेय बताते हैं कि 1942 कि ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन के तत्वावधान में जबर्दस्त संघर्ष किए जाने के कारण ब्रिटिश शासकों ने यूनियन को भंग कर दिया था। उस समय छात्र नेता नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में आंदोलन करके विश्वविद्यालय के तत्कालीन छात्र नेताओं ने यूनियन को बहाल कराया। इसके बाद भी कई बार छात्रसंघ पर संकट मंडराता रहा। वर्ष 2011 में भी एकेडमिक कौंसिल की बैठक में छात्रसंघ को समाप्त कर छात्र परिषद का मॉडल लागू किए जाने का निर्णय लिया गया था। उस वक्त इसका जबर्दस्त विरोध हुआ था और मामले में सीधे राहुल गांधी को हस्तक्षेप करना पड़ा था। उनके हस्तक्षेप के बाद वर्ष 2012 में सात साल बाद इविवि में छात्रसंघ का चुनाव कराया गया था।

1923 में हुई स्थापना, हर चार माह में होता था चुनाव

 इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों के संगठन इलाहाबाद विश्वविद्यालय यूनियन की स्थापना वर्ष 1923 में हुई थी। उस समय विश्वविद्यालय में प्रवेश के समय ही शिक्षा शुल्क के साथ यूनियन का सदस्यता शुल्क भी जमा करा लिए जाने की व्यवस्था थी। स्थापना काल से वर्ष 1936-37 तक यूनियन के पदाधिकारियों के तीन सत्र होते थे और प्रति चार माह में चुनाव संपन्न कराया जाता था। 1938-39 से एक वर्ष में दो सत्र होने लगे और प्रत्येक छह माह में चुनाव कराया जाने लगा। यह व्यवस्था 1953-54 तक चली। 1954-55 से यूनियन के पदाधिकारियों का कार्यकाल एक वर्ष कर दिया गया। 31 अगस्त को प्रतिवर्ष चुनाव की तिथि और एक वर्ष पूरा होने पर 20 जुलाई को निर्वाचित पदाधिकारियों का कार्यकाल समाप्त होने की तिथि निर्धारित की गई।

इविवि ने देश को दीं कई हस्तियांइ लाहाबाद विश्वविद्यालय और इसके छात्रसंघ ने देश को कई बड़ी हस्तियां दीं। इनमें यूपी के पूर्व सीएम गोविंद बल्लभ पंत, पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सचिव, यूपी के पूर्व सीएम एनडी तिवारी, मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम डॉ. कैलाशनाथ काटजू, अर्जुन सिंह, विहिप के अंतर्राष्ट्रीय महासिचव अशोक सिंहल, दिल्ली के पूर्व सीएम मदन लाल खुराना पूर्व केंद्रीय मंत्री जनेश्वर मिश्र, पूर्व केंद्रीय मंत्री राजमंडल पांडेय समेत कई छात्र, छात्र नेता और शिक्षकों ने देश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान हासिल किया।

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